पराली जलाने पर हो सकती है कठोर कार्रवाई
मुंगेर। संग्रहालय सभागार में गुरुवार को अपर समाहर्ता विद्यानंद सिंह की अध्यक्षता में पराली न जलाने
मुंगेर। संग्रहालय सभागार में गुरुवार को अपर समाहर्ता विद्यानंद सिंह की अध्यक्षता में पराली न जलाने को लेकर अंतरविभागीय अधिकारियों के साथ बैठक संपन्न हुई।
बैठक में पराली जलाए जाने से होने वाले नुकसान पर विस्तार से चर्चा की गई।
जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिविल सर्जन, जिला पशुपालन अधिकारी, परियोजना निदेशक आत्मा, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी बैठक में मुख्य रूप से मौजूद रहे।
बैठक में सदस्य सचिव के रूप में जिला कृषि पदाधिकारी भी उपस्थित थे। अंतर विभागीय कार्य समूह खेती में फसल अवशेष ना जलाने के प्रति किसानों को जागरूक करेंगे। फसलों के अवशेष जैसे खुट्टी, पुआल, भूसा आदि को खेतों में ना जलने से संबंधित उन सभी विभागों का दायित्व निर्धारित किया गया। जिले में आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग फसल जलाने से सांस लेने में तकलीफ, आंख, नाक, गला में जलन, बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। शिक्षा विभाग इस विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन कराएंगे।
जीविका दीदी, पंचायती राज सेवकों के माध्यम से एवं सूचना व जनसंपर्क विभाग द्वारा समन्यवय बनाकर लोगों को जागरूक करेगा। ज्ञातव्य है कि हार्वेस्टर से फसल काटने के बाद खेतों में अवशेष ,पराली बचने पर किसान उसे अग्नि में जला देते हैं। इसे पर्यावरण एवं फसल क्षति का खतरा रहता है। परियोजना निदेशक आत्मा ने बताया कि फसल अवशेषों को डी कंपोजर के माध्यम से खाद में परिवर्तन किया जा सकता है।
इसके लिए उन्होंने डी कंपोजर के बाद अवशेष से प्लेट, कटोरी, पैकेजिग सामग्री उत्पादों को तैयार किया जा सकता है। मशीन द्वारा काटे गए धान के खेतों में बिना पुआल जलाए इस मशीन से सरलता से की जा सकती है। विभागीय निर्देशानुसार जिन किसानों को विभागीय योजनाओं का लाभ दिया जाता है। वैसे किसान एवं परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा यदि फसल जलाया जाता है तो किसान परिवार के सभी सदस्यों को कृषि विभाग की योजनाओं के लाभ से तीन वर्ष के लिए वंचित किया जा सकता है।