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मंत्री बदले, अफसर बदले, नहीं बदली ट्रेनों की जर्जर बोगियां

मुंगेर। रेलवे यात्री सुविधाएं बढ़ाने का दावा करती है। पर यहां यात्री सुविधाएं न के बराबर ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 07:56 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 07:56 PM (IST)
मंत्री बदले, अफसर बदले, नहीं बदली ट्रेनों की जर्जर बोगियां
मंत्री बदले, अफसर बदले, नहीं बदली ट्रेनों की जर्जर बोगियां

मुंगेर। रेलवे यात्री सुविधाएं बढ़ाने का दावा करती है। पर, यहां यात्री सुविधाएं न के बराबर है। पूर्व रेलवे का मालदा मंडल में पैसेंर ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। यहां के पैसेंजर जर्जर और रिजेक्ट बोगियों में सफर करने को मजबूर हैं। सफर के दौरान हमेशा जोखिम की संभावना बनी रहती है।

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जमालपुर से करीब 40 जोड़ी पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन होता है। इसमें कुछ ट्रेनें साप्ताहिक भी हैं। इनमें से छह एक्सप्रेस को छोड़कर अन्य एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों में पुराने आइएफसी कोच लगे हैं। जबकि पैसेंजर ट्रेनों को 20 से 25 साल पुरानी कोच लगाकर दौड़ाया जा रहा है। रेलवे के अनुसार एक बोगी की उम्र 17 से 20 साल मानक है। लेकिन अभी भी जमालपुर से किऊल, रामपुरहाट, साहिबगंज, भागलपुर, खगडिया, बेगूसराय की ओर वाली ट्रेनों की कई बोगियों 1994 से लेकर 2000 वर्ष की है। पिछले 12 सालों में कई रेल मंत्री बने, जीएम से लेकर डीआरएम बदल गए। पर, यहां से खुलने वाली पैसेंजर ट्रेनों की बोगियों को नहीं बदला गया।

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जमालुपर-रामपुर हाट पैसेंजर ट्रेन में जोखिम भरा सफर

स्टेशन से खुलने वाली ज्यादातर ट्रेनों की स्थिति अच्छी नहीं है। इन्हीं जर्जर ट्रेनों में यात्रियों को सफर करना पड़ता है। वहीं, प्लेटफॉर्म की खूबसूरती बरकरार रखने पर खास ध्यान दिया जा रहा है। आलम यह है कि यहां से खुलने वाली पैसेंजर ट्रेनों में यात्री खड़ा होकर सफर करने को विवश हैं। यहां से खुलने वाली जमालपुर-रामपुर हाट पैसेंजर की स्थिति भी काफी खराब है। इस ट्रेन में प्रतिदिन हजारों यात्रियों का आना-जाना होता है। ऐसे में टूटी कुर्सी और जंग लगे हैंडल की चपेट में आने से यात्री दुर्घटना के शिकार होने का खतरा बना रहता है। इस ट्रेन में लगी बोगियां भी 20 से 22 साल पुराने हैं।

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व‌र्द्धमान पैसेंजर की हालत दयनीय

जमालपुर से वद्धमान तक चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों की हालत दयनीय है। इस पैसेंजर ट्रेन में यात्रियों की संख्या काफी ज्यादा होती है। अप और डाउन में हर दिन यह ट्रेन यात्रियों से खचाखच रहती है। इस ट्रेन में बोगियों की स्थिति जर्जर है। बोगियों में गंदगी का अंबार है। कोई देखने सुनने वाला नहीं है। बोगियों भी इस ट्रेन में वर्ष 95 से 99 तक की लगी हुई है।

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