सड़क पर मोबाइल का प्रयोग देता है हादसों को दावत
मुंगेर। वाहन चलाते समय या पैदल सड़क पार करते समय मोबाइल फोन पर बात करना आजकल आम बात है
मुंगेर। वाहन चलाते समय या पैदल सड़क पार करते समय मोबाइल फोन पर बात करना आजकल आम बात है। अक्सर सड़क पर पैदल चल रहे हैं लोग या वाहन चालक फोन पर बात करते नजर आ जाते हैं। युवाओं में तो आजकल सड़क पर ईयर फोन लगाकर बात करना या म्यूजिक सुनना फैशन हो गया है। ऐसा करके हम अपने साथ साथ सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों की जान को भी खतरे में डाल रहे हैं।
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सड़क पर पैदल चलते समय मोबाइल न चलाएं
वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना जितना खतरनाक है। उससे कहीं अधिक खतरनाक पैदल सड़क पार करते समय मोबाइल का इस्तेमाल करना होता है। अक्सर मोबाइल पर बात करते समय लोगों का ध्यान सड़क पर नहीं रहता है। ऐसे में उन्हें पीछे से आने वाले वाहनों का आवाज भी सुनाई नहीं देती और सड़क दुर्घटना जैसे, हादसा होने का खतरा बना रहता है।
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हेडफोन लगाकर चलाना भी बड़ी भूल
इन दिनों युवाओं के द्वारा हेडफोन का इस्तेमाल किया जाता है। हेडफोन लगाकर पैदल या वाहन चलाना दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता है। पिछले दुर्घटनाओं को देखा जाए तो रेल की पटरी या सड़क पर दुर्घटनाओं के शिकार लोगों द्वारा इयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करने से हुआ है।
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वाहनों में म्यूजिक को तेज आवाज में ना बजाएं
वाहन चलाते वक्त ऊंची आवाज में म्यूजिक बजाना अपराध की श्रेणी में आता है। वाहन चलाते वक्त ऊंची आवाज में म्यूजिक बजाने से ध्यान भटकता है। और पीछे रहे वाहनों का हार्न की आवाज सुनाई नहीं पड़ती है। जिससे दुर्घटना हो सकती है।
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क्या कहते हैं पदाधिकारी
परिवहन पदाधिकारी रामाशंकर ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 184 के तहत वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग तथा ऊंची आवाज में संगीत बजाना अपराध की श्रेणी में आता है जिस पर विभाग द्वारा जुर्माना वसूल किया जाता है। लोगों में जागरूकता की कमी के कारण वे जुर्माना भरने पर दोबारा वही गलती करते हैं। इसलिए जांच शिविर एवं बोर्ड द्वारा सड़क नियमों के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
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अगर कभी फोन पर बात करना आवश्यक हो तो गाड़ी को कहीं सड़क किनारे सुरक्षित जगह पर रोक पर ही बात करनी चाहिए, जिससे दुर्घटना की संभावना कम होती है। मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी जिलों के लोगों को जागरूक होना होगा। जिस स्कूल में बच्चों को शिक्षकों द्वारा तथा युवाओं को घर के बड़ों द्वारा जागरूक करना चाहिए।