एलएचबी रैक के साथ मालदा इंटरसिटी का परिचलन शुरू
संवाद सहयोगी जमालपुर (मुंगेर) मालदा से जमालपुर के बीच चलने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस का परि
संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर) : मालदा से जमालपुर के बीच चलने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस का परिचालन एलएचबी रैक के साथ शुरू हो गया है। एलएचबी कोच लगने के बाद इस ट्रेन में सीटों की संख्या बढ़ गई है। एक कोच में सीटिग की व्यवस्था 106 है। पुराने रैक में एक कोच में 90 सीट ही था। मालदा डीआरएम यतेंद्र कुमार ने मालदा स्टेशन से इंटरसिटी के नए रैक को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। एलएचबी रैक में पहली बार दिव्यांगों के लिए कोच लगी है। डीआरएम ने कहा कि नई रैक से परिचालन शुरू होने के बाद यात्रियों को काफी सहूलियत होगी। ट्रेन में अभी तक आइसीएफ कोच लगे थे। एलएचबी कोच का प्रयोग अभी इस रूट से चलने वाली आठ ट्रेनों में किया जा रहा है। उच्च स्तरीय तकनीक से लैस इस कोच में बेहतर शॉक एक्जावर का उपयोग होता है। जिससे कम आवाज होती है और यात्रियों को झटकों का एहसास नहीं होता है। वजन में हल्के कोच डिस्क ब्रेक के कारण सफर आरामदायक और सुरक्षित हो जाता है। सीबीसी कपलिग के कारण एलएचबी कोच दुर्घटना में भी नहीं टूटते और डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते। कोच में कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम ट्रेन के रुकते ही शौचालय के दरवाजों को बंद कर देती है। इस तरह शौचालय का इस्तेमाल स्टेशन पर नहीं हो सकता। इसमे जनरल और स्लीपर क्लास की बोगियां भी बढ़ी है।
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क्या है एलएचबी कोच की विशेषता
-.एलएचबी कोच पुराने कन्?वेशनल कोच से काफी अलग होते हैं। यह उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है। इन कोचों में बेहतर एक्जावर का उपयोग किया गया है। जिससे आवाज कम होती है। यानी कि पटरियों पर दौड़ते वक्?त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी आती है।
- यह कोच स्?टेनलेस स्?टील से बने होते हैं। जबकि इंटीरियर डिजाइन एल्?यूमीनियम से की जाती है। जिससे कि यह कोच पहले की तुलना में थोड़े हल्?के होते हैं। - इन कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से ब्रेक लगा देते है। कोचों में लगे शाक एक्जावर की वजह से झटकों का अनुभव कम होगा। - सीबीसी कपलिग से डिब्?बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते। एलएचबी डिब्?बों में सीबीसी कपलिग लगाई जाती है। - सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अगर ट्रेन डिरेल भी होती है, तो कपलिग के टूटने की आशंका नहीं होती है, जबकि स्क्रू कपलिग वाले कोचों के डिरेल होने से उसके टूटने का डर बना रहता है।