मुंगेर में हुई थी भाकपा की राज्य इकाई की स्थापना
भाकपा के स्थापना दिवस पर विशेष - पार्टी के 80 वां वर्षगांठ की तैयारी जोरों पर - जातीय र
भाकपा के स्थापना दिवस पर विशेष
- पार्टी के 80 वां वर्षगांठ की तैयारी जोरों पर
- जातीय राजनीति ने वामपथ को पहुंचाया नुकसान
- कन्हैया के जरिये नई पीढ़ी को पार्टी से जोड़ने की तैयारी
प्रशांत, जासं, मुंगेर
20 अक्टूबर 1939 को भाकपा की राज्य इकाई का गठन मुंगेर में हुआ था। उस समय पार्टी पर अंग्रेज हुकूमत ने प्रतिबंध लगा रखा था। मुंगेर में विजयादशमी पर भव्य मेला का आयोजन होता था। ऐसे में कामरेड ने मेला की आड़ में मुंगेर में पार्टी का अधिवेशन आयोजित करने और राज्य इकाई का गठन करने का निर्णय लिया। शांति मुखर्जी के लालदरवाजा आवास पर कामरेडों का जुटान हुआ।
कामरेड सुनील मुखर्जी, बिनोद बिहारी मुखर्जी, ज्ञान विजय मैत्रेय, अनिल मैत्रेय, रतन राय, देवकी नंदन पाठक, पटना के अली अशरफ, विश्वनाथ माथुर, पृथ्वी राज सिंह, डॉ. केशव सिंह, कामरेड नागेश्वर सिंह, भागलपुर के दयानंद झा, श्यामलकिशोर झा, राहुल संकृत्यान, शिवलोचन सिंह जैसे दिग्गज जुटे। वहीं, पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय कमेटी कामरेड रूद्रदत भारद्वाज को भेजा गया था। ताकि, पारदर्शी तरीके से कमेटी का गठन किया जा सके।
भाकपा के पहले राज्य सचिव मुंगेर के कामरेड सुनील मुखर्जी बने। पहले अधिवेशन में ही औपनिवेशिक सम्राज्यवाद से आजादी, जमींदारी प्रथा, बंधुआ मजदूरी का उन्मूलन, समांतवाद का खात्मा, समाज से छूआछुत का सफाया आदि प्रस्ताव पारित किया गया। मुंगेर में नींव पड़ने के बाद काम्युनिस्ट पार्टी ने पूरे राज्य में संगठन को मजबूत किया। सशक्त संगठन के कारण भाकपा पूरे बिहार में वाम आंदोलन का अगुआ बन गया। लेकिन, जातीय राजनीति के अभ्युदाय, उदारवाद के प्रभाव और नई पीढ़ी की वामपंथ से दूरी ने भाकपा को काफी नुकसान पहुंचाया।
मुंगेर के संगठन प्रभारी कामरेड विश्वजीत कुमार ने कहा कि हमलोग वर्ग संघर्ष की बात करते हैं। जात-पात की राजनीति के उदय ने वर्ग संघर्ष की धारा को कमजोर कर दिया। लेकिन, नई परिस्थिति भाकपा और वामपंथ के अनुकूल हो रहा है। जिस प्रकार से महंगाई, बेरोजगारी बढ़ी है, उससे वामपंथ मजबूत विकल्प बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। वहीं, पार्टी के 80 वें वर्षगांठ में जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।
पोस्टर पर कन्हैया की बड़ी तस्वीर पार्टी में बदलाव की कहानी बयां कर दे रही है। विश्वजीत ने कहा कि कन्हैया के उदय से वामपंथ को नई उर्जा मिली है। पार्टी की ओर युवाओं का आकर्षण बढ़ा है। भाकपा के जिला सचिव कामरेड दिलीप ने कहा कि मुंगेर में पार्टी की स्थापना हुई। 80 वर्ष बाद फिर से मुंगेर से राज्य और देश में वामपंथ को मजबूत विकल्प बनाने का संदेश दिया जाएगा।