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सीता राम विवाह सबसे आनंद दायक क्षण : स्वाति शर्मा

संवाद सूत्र तारापुर (मुंगेर) रामकथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव में कथा वाचिका स्वाति शर्मा ने भगवान श्र

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 10:14 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 06:36 AM (IST)
सीता राम विवाह सबसे आनंद दायक क्षण : स्वाति शर्मा
सीता राम विवाह सबसे आनंद दायक क्षण : स्वाति शर्मा

संवाद सूत्र, तारापुर (मुंगेर) : रामकथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव में कथा वाचिका स्वाति शर्मा ने भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह प्रसंग सुनाया। राम सीता के विवाह प्रसंग सुनाते हुए स्वाति शर्मा ने कहा कि प्रभु श्रीराम और माता सीता का विवाह प्रसंग सबसे खूबसूरत क्षणों में से एक है। राजा जनक ने जब माता सीता को बाल्यावस्था के दौरान महल के पूजा घर की सफाई के क्रम में भगवान शिव के धनुष को एक हाथ मे उठाकर दूसरे हाथ से सफाई करते देखा तो आश्चर्य में डूब गए। उसी समय उन्होंने प्रण किया कि जो भी वीर पुरुष इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही सीता का वर होगा।

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स्वाति शर्मा बताती हैं कि त्रेता युग में पृथ्वी पर राक्षसों का अत्याचार अपनी चरम सीमा पर था। उस समय मुनि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा करने के उद्देश्य से अयोध्या के महाराज दशरथ से उनके पुत्रों राम एवं लक्ष्मण जी को मांग कर ले गए। यज्ञ की समाप्ति के पश्चात विश्वामित्र जी जनकपुरी के रास्ते से वापसी आने के समय राजा जनक के सीता स्वयंवर की उद्घोषणा की जानकारी मिली। मुनि विश्वामित्र ने राम एवं लक्ष्मण जी को साथ लेकर सीता के स्वयं वर में पधारे। देवी सीता के सतगुण और सौंदर्य से प्रभावित होकर विश्व भर के राजा उनसे विवाह की इच्छा रखते थे। उनमें लंकापति रावण भी शामिल था। लेकिन शिवजी के धनुष पर प्रत्यंचा न चढ़ा पाने के कारण उनकी विवाह की इच्छा पूरी नहीं हो सकी। बहुत अन्य राजा-महाराजाओं ने भी वीरता का परिचय दिया, परंतु विफल रहे।प्रतापी राजाओं की विफलता देख राजा जनक चितित होकर घोषणा की, लगता है यह पृथ्वी वीरों से विहीन हो गयी है। लक्ष्मणजी को क्रोध भी आया कि प्रभु राम के उपस्थित रहते जनक ने इतनी बड़ी बात कैसे कह दिया। तभी मुनि विश्वामित्र ने राम को शिव धनुष भंग करने का आदेश दिया। राम ने मुनि विश्वामित्र की आज्ञा मानकर शिव की मन ही मन स्तुति कर शिव धनुष को एक ही बार में भंग कर दिया। महाराज दशरथ बारात लेकर जनकपुर आते हैं। राजा जनक ने सीता का विवाह बड़े उत्साह एवं धूम-धाम के साथ प्रभु राम से कर दिया। साथ ही दशरथ के तीन पुत्रों भरत के साथ माधवी, लक्ष्मण के साथ उर्मिला एवं शत्रुघ्न जी के साथ सुतकीर्ति का विवाह भी बड़े हर्ष एवं धूम-धाम के साथ कर दिया। मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को रामसीता का विवाह विवाह पंचमी के रूप में संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है।


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