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ददरीजाला पंचायत के सरकटिया गांव में पानी के त्राहिमाम

संवाद सूत्र संग्रामपुर (मुंगेर) जैसे-जैसे गर्मी में तापमान बढ़ रहा है वैसे-वैसे प्रखंड क्षेत्र

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 10:19 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 06:33 AM (IST)
ददरीजाला पंचायत के सरकटिया गांव में पानी के त्राहिमाम
ददरीजाला पंचायत के सरकटिया गांव में पानी के त्राहिमाम

संवाद सूत्र, संग्रामपुर (मुंगेर) : जैसे-जैसे गर्मी में तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे प्रखंड क्षेत्र में जल संकट गहराता जा रहा है। भीषण गर्मी में जलस्तर में आई गिरावट के कारण अधिकतर कुंए सुख गये हैं और चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है। इस जल संकट से उबरने के लिए बोरिग में समरसेबुल लगाते जा रहे हैं। जिससे और अधिक जल संकट गहराने के बादल मंडराने लगे हैं। कुछ इसी तरह की समस्या का सामना प्रखंड के ददरीजाला पंचायत के सरकटिया गांव के ग्रामीणों को करना पड़ रहा है। विदित हो कि सरकटिया गांव के अधिकतर कुआं भी सूख गए हैं। आवश्यक दैनिक कार्य के लिए बोरिग चलाकर कुंडों में पानी भरते हैं। वहीं चापाकल भी दम तोड़ती नजर आ रही है। जल संयंत्र में गिरावट के कारण बोरिग से भी पानी निकलना दुभर हो गया है।

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पूर्व उप मुखिया कैलाश सिंह ने अपने गांव सरकटिया की वरीयता सुनाते हुए कहा कि अभी तो गर्मी का शुरुआती दौर है। तब तो जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। आनेवाला समय भयावह प्रतीत होता है। उन्होंने बताया कि गांव में सरकारी चापाकल तो लगाते गये है। उससे सुबह में तो कुछ कुछ पानी गिरता है। जैसे-जैसे दिन ऊपर चढ़ता है, चापाकल से पानी गिरना बंद हो जाता है। चापाकल के साथ-साथ कुंडों के सुख जाने से घरेलू समस्या उत्पन्न हो गई है।

वहीं शंकर दास ने बताया कि सरकटिया गांव जल समस्या की से जूझ रहा है। जल समस्या के कारण लोगों का स्नान करना भी दुभर हो गया है। बोरिग चलाकर कुंडों में पानी जमाकर किसी तरह काम चलाना मजबूरी हो गई है। प्रतिदिन बोरिग चलाकर। कुंए में पानी जमा करना भी धीरे-धीरे मुश्किल होता जा रहा है। जलस्तर में गिरावट के कारण बोरिग से पंपसेट पानी नहीं उठा पाया है। श्रीदास ने बताया कि जल संकट से उबरने के लिए जिनके पास बोरिग है उन्होंने समरसेबुल लगा लिया है। जिससे थोड़ा-थोड़ा जो भी पानी चापाकल से गिरता था। वह भी बंद हो जाता है। लोगों को पेयजल के लिए हल्कापन होना पड़ता है। सरपंच सुनील दास ने बताया कि जल संकट का सबसे अधिक पशुओं पर पड़ रहा है। अगर जल की समस्या इसी तरह बरकरार रही तो पशुपालकों को पलायन करना मजबूरी होंगी।


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