गरीब बच्चों को नहीं हो रही शिक्षा नसीब, सरकारी घोषणाएं भी हवा हवाई : नवल किशोर प्रसाद ¨सह
जागरण संवाददाता, मुंगेर : हजारों गरीब बच्चे शहर की गलियों में पेट भरने के लिए कचरा
जागरण संवाददाता, मुंगेर : हजारों गरीब बच्चे शहर की गलियों में पेट भरने के लिए कचरा इकट्ठा करते दिखाई देते हैं। एक अनुमान के मुताबिक शहरों में 5 हजार से 10 हजार ऐसे बच्चे, जो आज तक कभी स्कूल नहीं गए हैं । बल्कि पेट भरने के लिए कूड़े कचरे से पॉलिथीन, कागज और टूटा फूटा लोहा बेचकर अपना तथा अपने परिवार का पेट पालते हैं। सरकार के द्वारा लागू शिक्षा के अधिकार का घोर उल्लंघन है । यह बातें अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय नेता नवल किशोर प्रसाद ¨सह ने प्रेस बयान जारी कर कहा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत 60 बच्चों पर 2 शिक्षक, 61 से 90 बच्चों पर 3 शिक्षक, 91 से 120 बच्चों पर 4 , 121 से 200 पर 5 शिक्षक होना चाहिए। इसके अलावे 6 से 14 वर्ष के उन बच्चों को विद्यालय से जोड़ना आवश्यक है, जो लावारिस बच्चे अभी स्कूल नहीं जा रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि लाखों शिक्षकों का पद रिक्त है। वहीं, गरीब बच्चे बाल मजदूरी करके परिवार का पेट भर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि गरीब बच्चों को शिक्षा नसीब नहीं हो पा रहा और सरकारी घोषणा हवा हवाई साबित हो रही है।