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रसोइयों के हड़ताल से विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति हो गई आधा

जागरण संवाददाता, मुंगेर: सात जनवरी से अपने 14 सूत्री मांगों को लेकर बिहार राज्य मध्याह्न भो

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 07:05 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 07:05 PM (IST)
रसोइयों के हड़ताल से विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति हो गई आधा

जागरण संवाददाता, मुंगेर: सात जनवरी से अपने 14 सूत्री मांगों को लेकर बिहार राज्य मध्याह्न भोजन रसोइया संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले रसोइया हड़ताल पर चली गई है। इससे मध्याह्न भोजन का कार्य प्रभावित हो गया। जिले के प्राथमिक व मध्य विद्यालय में छात्रों का भोजन नहीं बनने के कारण विद्यालयों में छात्रों का आना भी कम हो गया है। विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति आधे से भी कम हो गई है। रसोइया संघ के जिला सचिव सुनीता देवी ने कहा कि जिले में लगभग 31 सौ रसोइया विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत हैं। हम लोगों को मात्र 37 रुपये प्रतिदिन के दर से मानदेय मिलता है, जो काफी कम है । मानदेय बढ़ाने को लेकर बीते 13 दिनों से हमलोग हड़ताल पर हैं । उन्होंने कहा कि सरकार जब तक हम लोगों की मांग नहीं मानी जाती है, हम लोग हड़ताल से वापस नहीं आएंगे। चाहे विद्यालय में बच्चे आएं, अथवा नहीं । प्राथमिक विद्यालय नया ¨बद टोली के प्रधानाध्यापक धनेश्वर कुमार ने कहा कि विद्यालय में 200 बच्चे हैं । मध्याह्न भोजन बंद होने के कारण मात्र 70 बच्चे ही विद्यालय आ रहे हैं । बरियारपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय सकहरा टोला के प्रधानाध्यापक मुदित कुमार ने कहा कि विद्यालय में 935 बच्चें नामांकित हैं । मध्याह्न भोजन बंद होने से मात्र 300 बच्चे ही विद्यालय आ रहे हैं । इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी नरेंद्र कुमार ने कहा कि हड़ताल से विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति पर प्रभाव पड़ा है। विद्यालय शिक्षा समिति को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मध्याह्न भोजन का कार्य विद्यालय में सुचारू रूप से प्रारंभ करवाया जाएगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी माना है कि रसोइयों की मानदेय वास्तव में कम है, मानदेय बढ़ना चाहिए। वही सोमवार को डीपीओ निशांत किरण ने भी कई विद्यालयों का भ्रमण कर विद्यालय के प्रधानाध्यापक को निर्देश दिया कि वे रसोइया को काम पर वापस लौटने का निर्देश दें ,फिर काम से हटा दिए जाने की सूचना दें। किसी भी हालत में बच्चों के मध्याह्न भोजन से समझौता नहीं किया जा सकता है।

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