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प्रखंड मुख्यालय से छूती है पढ़भाड़ा की सीमा, फिर समस्या हैं कायम

मुंगेर । पढभाड़ा पंचायत की गिनती वीआइपी पंचायत के रूप में होती है। इसकी सीमा प्रखंड मुख्यालय

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 06:58 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 06:58 PM (IST)
प्रखंड मुख्यालय से छूती है पढ़भाड़ा की सीमा, फिर समस्या हैं कायम
प्रखंड मुख्यालय से छूती है पढ़भाड़ा की सीमा, फिर समस्या हैं कायम

मुंगेर । पढभाड़ा पंचायत की गिनती वीआइपी पंचायत के रूप में होती है। इसकी सीमा प्रखंड मुख्यालय को छूती है। तारापुर मुख्यालय से प्रारंभ होकर पश्चिम में छह किलोमीटर पर महेशपुर तथा उत्तर पियारपुर तक लगभग पांच किलोमीटर तक फैली है। राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक गतिविधियों के कारण चर्चा में रहने वाले पढ़भाड़ा पंचायत की एक बड़ी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। पंचायत 15 वार्डो में बंटा है। वहीं, पंचायत से दो पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित होते हैं। तारापुर को नगर पंचायत का दर्जा दिए जाने को राज्य कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई है। ऐसे में अब नए परिसीमन में पंचायत के तीन वार्ड अब पढ़भाड़ा पंचायत का हिस्सा नहीं होंगे। वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव में इसका भूगोल बदला बदला नजर आ सकता है।

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आंकड़ों में पंचायत चुनाव

पंचायत की कुल आबादी : 13372 (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार)

कुल मतदाता : 8219

पुरुष मतदाता : 4409

महिला मतदाता : 3810

साक्षरता दर : 80 प्रतिशत

आंगनबाड़ी केंद्र : 15 --------------------------

पढ़भाड़ा पंचायत की धरती से निकले कई रत्न

पढ़भाड़ा पंचायत की धरती से कई रत्न निकले हैं। जिन्होंने पढ़भाड़ा का मान बढ़ाया है। स्व. भुजंगी प्रसाद यादव मधुर की कविताओं और उनकी रचना को लोग अब भी याद करते हैं। उन्होंने सांस्कृतिक और साहित्यिक चेतना को जगाने का भरसक प्रयास किया। पंचायत का ऐतिहासिक महत्व बड़ा है। देश के स्वतंत्रता संग्राम में यहां से बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया तथा सर्वोच्च बलिदान भी दिया। देश के चर्चित 15 फरवरी 1932 के गोलीकांड में इस पंचायत के महेशपुर निवासी गैबी सिंह, सतखरिया के झोंटी झा तथा पढभाड़ा के रामेश्वर मंडल ने अपनी शहादत दी थी। स्व. महाबीर प्रसाद सिंह थाना भवन पर झंडा फहराने वाले दल में शामिल थे। स्व सिंहेश्वर चौधरी ने नील की खेती का विरोध किया था।

स्व. विजय नारायण प्रशांत ने तारापुर विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व किया था । उनकी छवि ईमानदार तथा जमीनी नेता के रूप में थी। जिन्हें सभी वर्ग के लोग सम्मान के ²ष्टि से देखते थे। बिहार सरकार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री सुमित्रा देवी का जन्म स्थली पंचायत का महेशपुर गांव है। लोग इन्हें लौह महिला के नाम से भी जानते हैं। इनकी पुत्रवधू पूर्व लोकसभा अध्यक्ष डॉ. मीरा कुमार हैं। सर्वहारा के नेता के रूप में स्व. बद्री विशाल को भी लोग याद करते हैं। क्षेत्र से जिला परिषद के रूप में शैलेश कुमार उर्फ मंटू यादव भी लोकप्रिय हैं।

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उच्च पदों पर आसीन हैं पढ़भाड़ा के कई लाल

पंचायत के कई लोग सरकार के विभिन्न उच्च पदों को सुशोभित कर चुके हैं । महेशपुर गांव निवासी डॉ. संजय कुमार सिंह बिहार सरकार में अपर समाहर्ता और उनके भाई अरविद कुमार भारतीय रेलसेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। मधुरा गांव के संजय कुमार निराला बिहार सरकार में वरीय उप समाहर्ता तथा अनिमेश कुमार भारतीय इलेक्ट्रिक सेवा में उच्च पद पर हैं। जबकि स्व. दयानाथ झा मुख्य अभियंता, वीरेंद्र चौधरी अधीक्षण अभियंता, जगदंब मिश्रा, महेंद्र चौधरी, दयाराम चौधरी आदि वरिष्ठ अभियंता के पद को सुशोभित कर चुके हैं।

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शिक्षा की स्थिति

पंचायत की भौगोलिक सीमा में ही अनुमंडल का एकमात्र अंगीभूत डिग्री कॉलेज रामस्वारथ कॉलेज तारापुर अवस्थित है। मधुरा ग्राम में सरकारी तारापुर आइटीआइ तथा पंचायत का एकमात्र उच्च विद्यालय स्थापित है। महेशपुर, पढभाड़ा, मधुरा, कारुकुण्डा, स्वर्णडीह गांव में मध्य विद्यालय है। गुरुग्राम, नवटोलिया, सतखरिया, पढभाड़ा उत्तरी टोला में प्राथमिक विद्यालय है।

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पंचायत की प्रमुख समस्याएं

पंचायत की प्रमुख समस्या खेतों की सिचाई से जुड़ी हुई है। सिचाई सुविधा रहने के बावजूद किसानों को वर्षा पर ही आश्रित रहना पड़ता है। चौरा नदी से पटवन की सभी संरचनाएं जर्जर स्थिति में है। पढभाड़ा पश्चिम बहियार में सिचाई की असुविधा है। गिद्दा नदी पर चेकडैम बनने से समस्या का समाधान हो सकता है। मनरेगा तथा सिचाई विभाग के माध्यम से कार्य तो कराए जाते हैं, परंतु उससे खेतों तक पानी पहुंचाने की परिकल्पना पूरी तरह से चरितार्थ नहीं हुई। कई क्षेत्र में नहर से सिचाई हो जाती है। मधुरा गांव में लघु जल संसाधन विभाग का मधुरा एक एवं मधुरा दो नलकूप है । यह जर्जरावस्था में है। दोनों नलकूप बंद पड़ा हुआ है। सरकार की सात निश्चय पार्ट 2 योजना का संकल्प कि सभी खेतों की सिचाई सुनिश्चित होगी, से किसानों को बड़ी आशाएं हैं। सरकारी भूमि के अभाव और निजी लोगो द्वारा निर्माण कार्य में अवरोध खड़ा किए जाने के कारण जल निकासी की समस्या बनी हुई है। स्वर्णडीह तांती टोला को संपर्क सड़क नहीं है। नहर में पुल बनने पर ही समस्या का समाधान संभव है। वार्ड तीन में पीएचइडी ने एक टोला को नलजल से पानी नहीं दिया, जबकि वार्ड सदस्य की मृत्यु हो जाने से वार्ड सात के एक टोला को पानी नहीं मिला है।

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पंचायत सरकार भवन

पंचायत मुख्यालय में नए पंचायत सरकार भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ है। इसके पूर्व कोई पंचायत भवन पंचायत में नहीं था। पंचायत की ग्राम सभा काली मंदिर के सामने बनी हुई सामुदायिक भवन में आयोजित की जाती थी। नए पंचायत सरकार भवन के निर्माण में जिला से राशि का आवंटन ससमय नहीं होने से निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों ने फिलहाल काम बंद कर दिया है। पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि चंद्रशेखर चौधरी के अनुसार राशि की उपलब्धता समय पर नहीं कराए जाने के कारण निर्धारित समय पर सरकार भवन के निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद नहीं है।

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सड़क

पंचायत के सभी गांव पक्की सड़क से जुड़ा हुए हैं । प्राय: सभी गली भी पक्की सड़क से जुड़ गई है। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के गली नाली पक्की करण निश्चय योजना से भी नए निर्माण कार्य कराए गए हैं।

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पशु अस्पताल

तारापुर प्रखंड मुख्यालय में पशु अस्पताल है। पंचायत में पशुपालक की संख्या काफी अधिक है। पशुपालक अपने बीमार पशु का इलाज निजी पशुचिकित्सक अथवा अस्पताल के पशु चिकित्सक को बुलाकर करवाते हैं। इसके एवज में वे चिकित्सक को पैसा भी देते हैं।

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स्ट्रीट लाइट :

संपूर्ण तारापुर को रौशन करने के लिए विद्युत शक्ति केंद्र पंचायत में ही अवस्थित है। पंचायत में स्ट्रीट लाइट नहीं लगा है। बिजली की आपूर्ति लगभग 22 घंटे होती है। बिजली पोल पर लोगों ने अपने स्तर से बल्ब लगा दिया है। हालांकि, सड़कों का ज्यादातर भाग अब भी अंधेरों में ही रहता है।

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स्वास्थ्य

लोगों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पंचायत में एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए गए हैं। लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप सेवा देने में यह केंद्र विफल है। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के इलाज के नाम पर केवल कागजी खानापूरी किया जा रहा है। कर्मीयों एवं दवाओं का अभाव है। मरीजों को इलाज के लिए तारापुर ही जाना पड़ता है।

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साफ सफाई

साफ-सफाई के मामले में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है। सड़कों एवं गलियों की नियमित सफाई गृह मालिक के विवेक पर निर्भर करता है। सभी घरों को शौचालय दिया जा चुका है । बावजूद खुले में शौच करने के लिए खेतों और नदियों पर आदतन लोग जा ही रहे हैं। शौचालय के उपयोग के लिए आम लोगों को जागरूक करने की जिम्मेवारी के निर्वाहण के नाम पर महज खानापूरी किया जा रहा है।

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मुखिया जी के दावें

पंचायत की मुखिया बेबी देवी ने कहा कि विकास के कार्य हुए हैं। सरकार के सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को सफलतापूर्वक जमीन पर उतारा गया है। कोरोना काल मे सरकारी निर्देश का शतप्रतिशत अनुपालन किया। लोगों तक निजी स्तर से भी मदद पहुंचाई है। सात निश्चय के तहत नल का जल योजना का क्रियान्वयन कराया गया है। गली नाली योजनाओं में भी बेहतर कार्य हुआ है। बीते 20 वर्षों से जनता का आशीर्वाद मिलता रहा है, तो काम किया है। आगे भी आशीर्वाद मिलने पर बचे विकास कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना हमारा संकल्प है। सभी खेतों की सिचाई और युवाओं के लिए खेल मैदान को विकसित करना प्राथमिकता होगी।

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बोले पूर्व मुखिया

पंचायत में 50 प्रतिशत लोगों को शौचालय नहीं मिला है। महादलित टोला गोरगामा में नल जल का लाभ नहीं मिला है। पंचायत के लोग पूर्ण रूप से नल जल और गली नाली पक्की करण योजना के लाभ से वंचित हैं। शौचालय और प्रधानमंत्री आवास योजना में लूट का बोलबाला है। पक्का मकान वालों को आवास का लाभ मिल रहा है। गरीब लोग अभी भी झोपड़ी में रह रहे हैं । मनरेगा योजना लूट का पर्याय बनी हुई है। जन उपयोगी योजनाओं की जगह निजी लाभ की योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। यह कहा जा सकता है कि पंचायत में विकास के काम से अधिक लूट का बोलबाला है। जनता कराह रही है।

जयकिशोर मंडल, पूर्व मुखिया

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कहते है ग्रामीण:-

महेशपुर ग्राम निवासी तथा पारामाउंट एकेडमी के निदेशक महेश कुमार सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत लोकतंत्र की अंतिम इकाई है। यदि सक्षम पारदर्शी और निर्वाचकों के प्रति उत्तरदायित्व हो, तो गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना चरितार्थ होने में अधिक देर नहीं लगेगी । मेरा पंचायत आदर्श बनें। जाति, धर्म, गुट या आपराधिक चरित्र जैसे

नकारात्मक भावों से हमारा पंचायत दूर रहे। आपस में भाईचारा मेलजोल तथा दबे कुचले की सेवा कर हम अपने ग्राम पंचायत को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत कर सकते हैं।

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बोले युवा

मधुरा गांव के युवक स्वास्तिक कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी मेरे पंचायत में स्वास्थ्य, सिचाई, शिक्षा, सड़क, स्वच्छता जैसे बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। आवश्यकता है सभी विकास संबंधित योजनाओं जैसे हर घर नल का जल, मनरेगा, हर खेत तक पानी, हर घर बिजली, आयुष्मान भारत योजना का क्रियान्वयन धरातल पर संपूर्ण पारदर्शिता के साथ हो, ताकि पढ़भाड़ा पंचायत को आदर्श ग्राम पंचायत बनाया जा सके।

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युवा उद्योगपति अमर कुमार चौधरी ने कहा कि मेरे सपनों का पंचायत ऐसा हो, जहां शहर जैसी नागरिक सुविधा हो। सड़क, नाला, स्वास्थ्य, बाजार, हाट, ट्रांसपोर्ट के लिए बस पडाव की समुचित व्यवस्था हो। किसी भी व्यक्ति को किसी भी ची•ा की जरूरत हो तो पंचायत के भीतर ही उपलब्ध हो।


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