बिहार का एक गांव, जहां पानी की वजह से नहीं हो रही कुंवारों की शादी...जानिए
जल ही जीवन है। लेकिन, बिहार के नक्सल प्रभावित जिला मुंगेर के हवेली खडग़पुर स्थित खैरा गांव में यह मौत का सामान है। फ्लोराइड प्रदूषित पानी पीकर यहां के वाशिंदे विकलांग व असमय बूढ़े हो रहे हैं।
मुंगेर [प्रणत भारती]। जल ही जीवन है। लेकिन, बिहार के नक्सल प्रभावित जिला मुंगेर के हवेली खडग़पुर स्थित खैरा गांव में यह मौत का सामान है। फ्लोराइड प्रदूषित पानी पीकर यहां के वाशिंदे विकलांग व असमय बूढ़े हो रहे हैं। गांव की इस समस्या के कारण यहां दूसरे गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी करना नहीं चाहते हैं।
जल में फ्लोराइड की मात्रा खतरनाक
खैरा गांव के भूजल में स्वीकृत मात्रा से काफी अधिक फ्लोराइड है। पीएचईडी के सहायत अभियंता अजित कुमार कहते हैं कि जल में एक पीपीएम तक फ्लोराइड रहे तो उसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ता, लेकिन यहां पानी में इसकी मात्रा 3.5 से लेकर 4.5 पीपीएम तक है। जल में इसकी अधिकता फ्लोरोसिस नामक बीमारी का कारण बन गई है।
फ्लोरोसिस की चपेट में पूरा गांव
हालत यह है कि पूरा गांव फ्लोरोसिस की चपेट में है। इस बीमारी में लोग धीरे-धीरे लोग विकलांग होते हैं और फिर असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। लगभग 7500 वाले आबादी वाले खैरा गांव में प्रदूषित पानी पीने के कारण चार दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दो दर्जन से अधिक लोग मौत के क्यू में लगे बारी का इंतजार कर रहे हैं।
मरने वाले विजय साह, विनोद मंडल, देवी शर्मा, नाजो शर्मा, विजय ङ्क्षसह, ब्रह्मदेव साह, सरिता देवी, कमली देवी, भादो मंडल आदि के परिजन कहते हैं कि उनके लिए पानी काल बन गया। फ्लोरोसिस पीडि़त गांव के कैलाश शर्मा व नरेश शर्मा जानते हैं कि वे जिंदगी और मौत के बीच जंग लग रहे हैं। पता नहीं कब मौत आ जाए।
धीरे-धीरे आती मौत
प्रदूषित जल के सेवन के कारण गांव के लोगों की कम उम्र में ही कमर झुक जाती है। हड्डियां कमजोर होती जाती हैं। जवानी में ही सारे दांत टूट जाते हैं। दांत पीले पड़ जाते हैं। धीरे-धीरे पूरी तरह से दिव्यांग होकर ग्रामीण मौत के मुंह में चले जाते हैं।
कुवांरे रह गए सौ से अधिक युवक
फ्लोराइड ने गांव की सेहत तो बिगाड़ी ही है, इसने सामाजिक संबंधों पर भी असर डाला है। दिव्यांगों के इस गांव में बाहर के लोग अपनी बेटियों की शादी करना नहीं चाहते हैं। इस कारण गांव में सौ से अधिक कुंवारे युवाओं की शादी की उम्र ढ़लती जा रही है।
नीतीश की यात्रा से चर्चा में आया था गांव
हवेली खडग़पुर प्रखंड का खैरा गांव उस समय चर्चा में आया था, जब विश्वास यात्रा के क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांच जून 2010 को अचानक खैरा गांव पहुंच गए। वहां की पीड़ा देखकर मुख्यमंत्री दुखी हो गए। उन्होंने गांव में लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का आश्वासन दिया।
इसको लेकर मुख्यमंत्री ने 40 करोड़ की राशि से निर्मित होने वाले वाटर प्लांट का शिलान्यास किया। योजना के तहत खडग़पुर झील से पानी लाकर खैरा वासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराना था। लेकिन, यह योजना अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है।
हालांकि, पीएचईडी ने खैरा में सोलर रिमुवल प्लांट, जल एटीएम की व्यवस्था की है, लेकिन यह व्यवस्था पूरे गांव को पेयजल मुहैया कराने में विफल है। ग्रामीण छोटु पासवान, किरानी यादव, विकास कुमार, सविता देवी, मंजु रानी ने बताया कि वे गांव के बाहर स्थित एक कुएं से पानी भरकर लाते हैं और उसी का सेवन करते है।
टूटने लगा ग्रामीणों का सब्र
शुद्ध पेयजल मुहैया कराए जाने का आश्वासन सुन-सुन कर खैरा के ग्रामीण थक चुके हैं। अब ऐसे आश्वासन सुनते ही ग्रामीण भड़क उठते हैं। दिसंबर 2014 में खैरा गांव के ग्रामीणों ने प्रखंड व अंचल कार्यालय का घेराव किया। तीन घंटे तक अधिकारियों को कार्यालयों में बंधक बनाए रखा।
वर्ष 2015 में पानी की जांच करने आए भूगर्भ जल आयोग पटना के सदस्यों को ग्रामीणों ने गांव के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया। इस कारण आयोग के सदस्यों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। ग्रामीण कहते हैं कि सर्वे के नाम पर खैरा गांव को पिकनिक स्पॉट बनाया जाना अब उन्हें मंजूर नहीं है।
बोले अभियंता
पीएचईडी के सहायत अभियंता अजित कुमार ने बताया कि खडग़पुर झील से खैरा तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए री-टेंडर किया गया। मंगलम एजेंसी को काम दी गयी है। इस माह के अंत तक कार्य आरंभ हो जाएगा। पूर्व की कार्यकारी एजेंसी को समय पर कार्य पूरा नहीं करने के लिए काली सूची में डाल दिया गया है।