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बाढ के दस्तक देने के साथ ही नदी के किनारे बसे लोगों की नींद उड़ी

कमला बलान नदी में दो दिन पूर्व बाढ़ दस्तक दे गई है। इसके साथ ही नदी के किनारे बसे लोगों की चैन छीन गई है। खासकर तटबंध के अंदर व किनारे बसे लोगों की धड़कने तेज हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 11:06 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 11:06 PM (IST)
बाढ के दस्तक देने के साथ ही नदी के किनारे बसे लोगों की नींद उड़ी

मधुबनी। कमला बलान नदी में दो दिन पूर्व बाढ़ दस्तक दे गई है। इसके साथ ही नदी के किनारे बसे लोगों की चैन छीन गई है। खासकर तटबंध के अंदर व किनारे बसे लोगों की धड़कने तेज हो गई है। विभाग द्वारा किए जा रहे कार्य को लोग नाकाफी बता रहे हैं।

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बता दें कि कमला बलान नदी का पूर्वी तटबंध हर वर्ष बाढ के समय कई जगहों पर संवेदनशील बन जाता है। तटबंध वर्ष 1987 एवं 2004 में टूट भी चुका है। गौरतलब हो कि ¨बदु संख्या 30 सहित माठ ढलान, मुरहदी कालेज ढलान, मुरहदी रामजानकी मंदिर ढलान पर बाहनों के नीचे उतरने एवं माल मवेषियों के आवाजाही के कारण तटबंध संकरीली हो गई है। तटबंध पर किए खरंजा को लोगों द्वारा चोरी छूपे उखाड़े जाने को लेकर भी कमजोर हो गया है। वहीं ¨बदु संख्या 28.5 से 27 किमी के बीच बाढ के रेतों की ठोकरें सीधे बांध से टकराती है।जिसे इलाकाई लोग काफी संवेदनशील बता रहें हैं। नदियों के उफान के कारण यहां टूटने की संभावना बनी रहती है। गत वर्ष इस ¨बदु पर जियो बैग एटैच किया गया था। ¨कतु अबकी इस बैग का कोई काम नहीं हुआ है।बल्कि बोरे में मिटी भरकर एकत्रित किया जा रहा है। उखाड़े गए खरंजे की जगह मिट्टी डाली गई है।

क्या कहते हैं जेई-जेई अमरेन्द्र ¨सह ने कहा कि बाढ से बचाव को लेकर एहतियाती उपाया तीव्र गति से जारी है। तटबंध को मोटरेबुल बना दिया गया है। आठ सौ बैग में मिटी भरकर स्टाक कर लिया गया है। कार्य जारी भी है। बर्षा में भी कार्य अनवरत चालू रखने या फिर पदाधिकारियों के कैंप करने को लेकर फूस का कमरा बनाया गया है।


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