झंझारपुर में कमला नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, प्रशासन अलर्ट
झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय से गुजरने वाली कमला नदी का जलस्तर खतरे के निशान से अभी भी ऊपर चल रहा है। बीते चार-पांच दिनों से इस नदी का झंझारपुर में यही हाल है। जलस्तर का घटना-बढ़ना लगातार जारी है। हालांकि सोमवार की सुबह से ही नदी का जलस्तर थोड़ा कम हुआ है लेकिन बाढ़ का खतरा अभी भी बरकरार है।
मधुबनी । झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय से गुजरने वाली कमला नदी का जलस्तर खतरे के निशान से अभी भी ऊपर चल रहा है। बीते चार-पांच दिनों से इस नदी का झंझारपुर में यही हाल है। जलस्तर का घटना-बढ़ना लगातार जारी है। हालांकि, सोमवार की सुबह से ही नदी का जलस्तर थोड़ा कम हुआ है, लेकिन बाढ़ का खतरा अभी भी बरकरार है। सोमवार को दिन के चार बजे नदी का जलस्तर 52. 25 मीटर बताया गया है। नदी का जलस्तर खतरे का निशान पार करने के बाद से ही स्थानीय प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में आ गया है। नदी के जलस्तर की लगातार हो रही वृद्धि पर नजर रखी जा रही है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता जमील अख्तर ने बताया कि शनिवार रात से जलस्तर में वृद्धि जारी है। विभाग पूरी तरह तैयार है। तटबंध की निगरानी की जा रही। वहीं, रात्रि के लिए परतापुर घाट पर जेनरेटर सेवा बहाल कर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है। बता दें कि झंझारपुर में कमला नदी के जलस्तर में वृद्धि होने और 53 मीटर पार करने पर तबाही आ सकती है। हालांकि, दोनों तटबंध के किनारे बसे लोग पूरी तरह तैयार और सतर्क हैं। बावजूद, ़खतरे की आशंका बनी हुई है। आसमानी वर्षा बंद रहने से लोगों को बाढ़ की आशंका से थोड़ी राहत अवश्य मिली है, लेकिन नेपाल से अगर पानी को छोड़ा गया तो बाढ़ की समस्या विकराल होने से इंकार नहीं किया जा सकता। बता दें कि वर्ष 2019 में नरूआर, गोपलखा और रखबारी में एक ही रात बांध टूटे थे, जिससे दर्जनों गांवों के हजारों लोग प्रभावित हुए थे। 2020 में स्थिति सामान्य रही। अब 2021 में कमला नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से लोग खौफजदा हैं।
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