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कष्ट तो है, पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं

मधुबनी। उत्तर प्रदेश के रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले में तृतीय अपर जिला सत्र न्यायधीश संजय कुमार की अदालत ने शनिवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई। चार को फांसी एक को उम्रकैद व एक को दस वर्ष कैद की सजा दी गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 10:57 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 10:57 PM (IST)
कष्ट तो है, पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं
कष्ट तो है, पर देशद्रोही पुत्र मंजूर नहीं

मधुबनी। उत्तर प्रदेश के रामपुर सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले में तृतीय अपर जिला सत्र न्यायधीश संजय कुमार की अदालत ने शनिवार को सभी दोषियों को सजा सुनाई। चार को फांसी, एक को उम्रकैद व एक को दस वर्ष कैद की सजा दी गई। फांसी की सजा पाने वालों में मधुबनी के रहिका प्रखंड के सकरी थानान्तर्गत सनौर पंचायत के गंधवारी गांव में मो. शब्बीर अहमद का बड़ा पुत्र मो. सबाउद्दीन भी शामिल है। सबाउद्दीन के पिता शब्बीर अहमद मायूस हो कहते हैं कि हमें जब पहली बार मालूम हुआ की सबाउद्दीन आतंकी हमलों का दोषी है तो सबों को बहुत दुख

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हुआ। मगर, उन्होंने उसी समय निर्णय ले लिया था की वे कभी सबाउद्दीन से मिलने नहीं जाएंगे। उसके लिए कहीं कोई पैरवी या मुकदमा में बचाव नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था की यदि वह निर्दोष साबित होकर बाइज्जत बरी होकर वापस आएगा तभी वह उनका बेटा कहलाएगा। वरना देशद्रोही या अपराधी से हमें कोई मतलब नहीं रखना है। अपने इस वचन का पालन वे आज भी कर रहे हैं। इसलिए वे अब तक एकबार भी मिलने नहीं गए हैं। आंखों में आंसू लिए कहते हैं, लगता था कि वह निर्दोष है। बरी होकर वापस आएगा । मगर, वह दोषी पाया गया है। उसे फांसी की सजा मिली है। यह खबर सुनने के बाद से ही परिवार के लोग सदमे में हैं। सबाउद्दीन की मां बेटे की खबर सुनने के बाद से ही बेसुध सी है। वहीं बीमार पिता उदास व मायूस घर में बैठे हैं। दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। वे ससुराल में हैं। दोनों छोटा भाई पढ़ाई खत्म कर दूसरे शहर में नौकरी कर रहा है। घर पर वृद्ध माता-पिता ही हैं।

मुखिया अशोक राम व ग्रामीण विमल कुमार ठाकुर, मो. कमरे आलम व मो. गन्नी समेत अन्य कहते हैं, एक अच्छे परिवार का युवक इस तरह की घटना को अंजाम देगा हम सोच भी नहीं सकते थे। उक्त घटना के कारण हमारे गांव समाज की बदनामी हुई है। इस तरह की सोच वाले युवाओं के लिए इस समाज में कोई जगह नहीं है। हर कोई चाहता है की उसके गांव समाज के देश में नाम हो। उसके अच्छे काम के लिए। मगर, जिस समाज में सबाउद्दीन जैसे युवक रहेंगे उसको बदनामी ही मिलती है। आज पूरा गांव उक्त घटना से शर्मसार है । कौन है सबाउद्दीन :

शब्बीर अहमद बीए एलएलबी करने के बावजूद अपने पुस्तैनी जमीन पर खेतीबारी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते रहे हैं। वे वर्ष 2001 से नियमित रूप से पंचायत समिति सदस्य हैं । शब्बीर अहमद को तीन पुत्र व दो पुत्रीयों में मो. सबाउद्दीन सबसे बड़ा बेटा है । परिजनों की मानें तो बचपन से सबाउद्दीन काफी शांत स्वभाव का था। उसने मौसी के यहां कमतौल में रहकर दसवीं की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह दरभंगा मिल्लत कॉलेज में इंटर में नामांकन करवाया। लेकिन, इसी दरम्यान वह अलीगढ़ पढ़ने चला गया। वहां पढ़ाई में सफल नहीं होने पर गांव आया और अपने दो अन्य साथियों के साथ बंगलूर काम के साथ पढ़ाई भी करने का बहाना बनाकर वर्ष 2005-6 में चला गया । इसके बाद से उसका संपर्क अपने पिता से नहीं रहा। इसी दरम्यान उसका संपर्क लोगों से हो गया । उसके पिता को इन सब बातों की जानकारी तब हुई जब वर्ष 2008 में वह पकड़ा गया और पुलिस पुछताछ के लिए उसके पैतृक घर पहुंची। यह है घटना : उत्तर प्रदेश के रामपुर स्थित सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात ढाई बजे आतंकियों ने हमला कर दिया था। आतंकी सेंटर के गेट नंबर एक जो दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर है से घुसे थे। आतंकियों ने गेट पर मौजूद जवानों पर गोलियां बरसाईं और हैंड ग्रेनेड भी फेंके थे । इसके बाद एके-47 से गोलियां बरसाते हुए काफी अंदर तक घुस आए थे । इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे। गेट के बाहर एक रिक्शा चालक की भी मौत हो गई थी। पुलिस ने हमले के आरोप में आठ लोगों को 10 फरवरी 2008 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।


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