पिपराघाट के संगम तट पर कार्तिक मास में बह रही आस्था की त्रिवेणी
मधुबनी । कार्तिक मास में मधुबनी के पिपराघाट स्थित संगम तट का नजारा इन दिनों बदला-बदला नजर आता है।
मधुबनी । कार्तिक मास में मधुबनी के पिपराघाट स्थित संगम तट का नजारा इन दिनों बदला-बदला नजर आता है। छोटी-छोटी झोपड़ियों में कल्पवास करते श्रद्धालुओं की भीड़ हर दिन के साथ बढ़ती जा रही है। सनातन धर्म में कार्तिक मास में नदी किनारे कल्पवास का धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व रहा है। कार्तिक मास में कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूरे देश में विभिन्न जगहों पर नदियों के किनारे कल्पवास का आयोजन होता रहा है। बिहार में भी बेगुसराय जिले के सिमरिया में कल्पवास का आयोजन होता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और पूरे कार्तिक मास नदी किनारे कल्पवास कर धार्मिक व आध्यात्मिक क्रियाओं में लिप्त रहते हैं। यही नजारा अब मधुबनी जिले के बाबूबरही प्रखंड में पिपराघाट में भी दिखने लगा है। यहां पहली बार कल्पवास का आयोजन हो रहा है। बता दें कि पिपराघाट में कमला, बलान व सोनी नदी का संगम होता है। यही कारण है कि इसे त्रिवेणी संगम तट के नाम से भी क्षेत्र में जाना जाता है।
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आध्यात्मिक क्रियाओं से गुलजार त्रिवेणी संगम तट :
पिपराघाट का त्रिवेणी संगम तट इनदिनों आध्यात्मिक क्रियाओं से गुलजार है। क्षेत्र के विभिन्न गांवों के दो दर्जन से अधिक महिला व पुरुष श्रद्धालु यहां कल्पवास कर रहे हैं। यह कल्पवास 21 नवंबर (कार्तिक मास के समापन) तक जारी रहेगा। कल्पवास कर रहे श्रद्धालुओं की दिनचर्या धार्मिक व आध्यात्मिक क्रियाओं में बीत रही है।
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संत-महात्माओं ने डाला डेरा :
त्रिवेणी संगम तट पर कल्पवास के लिए दर्जनों संत-महात्माओं ने डेरा डाल रखा है। ये अहले सुबह नित्यक्रिया से निवृत होकर त्रिवेणी संगम में स्नान पूजा कर आध्यात्मिक आयोजनों में भाग लेते हैं। प्रत्येक दिन ध्वजा के निकट स्थापित हवन कुंड में हवन होता है। निरंतर रामायण पाठ के साथ प्रत्येक दिन सुंदरकांड का पाठ हो रहा है। संध्या में पंडित विनय कुमार शास्त्री के रामकथा प्रवचन का श्रद्धालु रसपान कर रहे हैं। वामनादासजी महाराज, इंद्रलाल चौधरी, विजय दासजी महाराज आदि ने बताया कि यहां मुफ्त लंगर व आवास की व्यवस्था की गई है।