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उद्धारक की बाट जोह रही ऐतिहासहिक राजनगर राज परिसर

राजनेताओं के जुबान से प्रवाहित होने वाली विकास से जुड़े दावे-वादे वाली धारा धरातल पर उतरने से पहले ही सूख जाया करती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 12:18 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 12:18 AM (IST)
उद्धारक की बाट जोह रही ऐतिहासहिक राजनगर राज परिसर
उद्धारक की बाट जोह रही ऐतिहासहिक राजनगर राज परिसर

मधुबनी। राजनेताओं के जुबान से प्रवाहित होने वाली विकास से जुड़े दावे-वादे वाली धारा धरातल पर उतरने से पहले ही सूख जाया करती है। इससे प्रतीत होता है कि विकास की बातें नेताओं के दिल से नहीं बल्कि जुबान से ही निकलती रहती है। चुनावी मौसम में नेताओं के जुबान से निकले विकास संबंधी दावे-वादे बाद में कोरा ही साबित होता रहा है। इससे जनता ठगा महसूस करते रहे हैं। बार-बार ठगे जाने के कारण अब आमजनों में नेताओं के जुबानी दावे-वादे पर से भरोसा ही उठ गया है। वादे करना और बाद में मुकर जाना नेताओं की फितरत बन गई है। जनअपेक्षा व जनभावना पर नेता खरे नहीं उतर पा रहे हैं। ऐसा लगता है कि नेता व वादाखिलाफी एक ही सिक्के के दो पहलू बनकर रह गए हैं। नेताओं के आश्वासन पर से लोगों का भरोसा उठ सा गया है। अब झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र की ही बात करें तो आश्वासन मिलने के बाद भी दशकों पुरानी जनता की कई मांगे अब तक पूरी नहीं हुई है। इसमें ऐतिहासिक राजनगर राज परिसर को पर्यटक क्षेत्र के रुप में विकसित करना, झंझारपुर को जिला बनाना, सकरी-निर्मली एवं झंझारपुर-लौकहा रेलखंड का अमान परिवर्तन करना भी शामिल है। मधुबनी से रामप्रकाश चौरसिया की रपट :

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उपेक्षा का देश झेल रहा राजनगर राज परिसर का ऐतिहासिक धरोहर फोटो-19 एमडीबी 3 आजादी से दशकों पूर्व तत्कालीन दरभंगा महाराज द्वारा बसाए गए राजनगर राज परिसर अब तक उद्धारक का बाट ही जोह रहा है। इस परिसर में तत्कालीन दरभंगा महराज का राजकाज संचालन हेतु सचिवालय हुआ करता था। जिसमें संप्रति एक डिग्री कॉलेज संचालित हो रहा है। इसी राज परिसर में महराज व महारानी का महल भी है, जो अब जीर्ण-शीर्ण हाल में है। इस परिसर में दर्जनों देवी-देवताओं का मंदिर है, जो दक्षिणामुखी है। यह स्थल तत्कालीन दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की तपोभूमि भी है। यहां तंत्र विद्या की भी साधना हुआ करती थी। इस परिसर के महलों, मंदिरों की दीवारों पर पुर्तगाली, इटालियन शैली में अद्धितीय नक्काशी की गई है। इस परिसर स्थित विभिन्न मंदिर का निर्माण स्थापत्य कला एवं वास्तुकला के आधार पर किया गया था। यह परिसर काफी दर्शनीय व रमणीय है। अतीत इसका जितना ही सुनहला था, वर्तमान उतना ही दयनीय है। चहारदीवारी से लेकर नौलखा समेत कई अवशेष अब खंडहर में तब्दील होकर जमींदोज होने के कगार पर आ गया है। लेकिन शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण अब तक न तो इस परिसर को पर्यटक क्षेत्र ही घोषित किया गया और न ही इसके विकास एवं संरक्षण के लिए कोई कदम उठाया गया है। जिससे आमलोगों में क्षोभ है।

------------------ राजनगर राज परिसर स्थित ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए शासन-प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए। ताकि, इसका अस्तित्व बरकरार रह सके।

--ई. दिवकर रजक, अभियंता

फोटो-19 एमडीबी 4

------------------ राजनगर राज परिसर को पर्यटक क्षेत्र के रुप में घोषित करना चाहिए। पर्यटन क्षेत्र के रुप में इस परिसर का विकास करना चाहिए।

---बैद्यनाथ यादव बैजू, समाजसेवी

फोटो- 19 एमडीबी 5

--------------------- राजनगर राज परिसर ऐतिहासिक महत्व वाली धरोहरों से पटा हुआ है। इसके संरक्षण व विकास के लिए सरकार को शीघ्र पहल करनी चाहिए।

-- मोती धिरासारिया, व्यवसायी

फोटो- 19 एमडीबी 6

-------------- जिला बनने के लिए तरसता ही रहा झंझारपुर : फोटो-19 एमडीबी 7 झंझारपुर दशकों से जिला बनने का बाट जोह रहा है। हर चुनाव में इसे क्षेत्र की जनता झंझारपुर को जिला बनाने की मांग उठाती रही है। गैर-चुनावी मौसम में भी झंझारपुर को जिला बनाने की मांग को लेकर जनता आंदोलन करती रही है। लेकिन अभी भी इस क्षेत्र की जनता की यह मांग अधूरी ही है। 1972 में दरभंगा से अलग होकर मधुबनी जिला बना। लेकिन झंझारपुर अब तक अनुमंडल का अनुमंडल ही रह गया। झंझारपुर के जिला नहीं बनने से उस इलाके के फुलपरास अनुमंडल समेत कई प्रखंडों के लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी है। कमला-बलान नदी के पूर्वी भाग में झंझारपुर स्थित हैं। जिस कारण झंझारपुर को जिला बनाने की मांग अरसे से चली आ रही है। झंझारपुर में जिला बनने के लिए सभी आधारभूत संरचना व सुविधाएं भी मौजूद है, लेकिन शासन-प्रशासन की दृढ़इच्छाशक्ति के अभाव में अभी तक झंझारपुर जिला नहीं बन पाया है। जिसका इस क्षेत्र के लोगों में काफी मलाल है। झंझारपुर जिला बनने से इस क्षेत्र में विकास की रफ्तार जोड़ पकड़ सकती है। रोजी-रोजगार में भी इजाफा हो सकता है। लोगों का समय, श्रम व धन की भी बचत हो सकती है। नेताओं द्वारा वादे-दर-वादे करने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।

---------------- इस क्षेत्र के विकास के लिए झंझारपुर को जिला बनाना अति आवश्यक है। इसे लेकर शासन-प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।

--- अनुप कश्यप, पूर्व प्रमुख, झंझारपुर

फोटो- 19 एमडीबी 8

----------- इस क्षेत्र के लोगों की दशकों पुरानी मांगों पर ध्यान देते हुए सरकार को शीघ्र झंझारपुर को जिला का दर्जा देना चाहिए। इससे लोगों को लाभ मिलेगा।

--- अरुण कुमार मंडल, अधिवक्ता

फोटो-19 एमडीबी 9

------------ झंझारपुर को जिला बनने से इस क्षेत्र में विकास की रफ्तार तेज होगी। इसके मद्देनजर शासन-प्रशासन को शीघ्र ठोस पहल करनी चाहिए।

--- कृष्णदेव महतो, अधिवक्ता

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--------------- सकरी-निर्मली व झंझारपुर-लौकहा रेलखंड का अमान परिवर्तन में लेटलतीफी फोटो-19 एमडीबी 11 सकरी-निर्मली एवं झंझारपुर-लौकहा रेलखंड का अमान परिवर्तन कार्य कछुआ चाल से चलने के कारण इस क्षेत्र के लोग स्थानीय रेलसेवा से वंचित हैं। शिलान्यास के डेढ़ दशक बाद भी उक्त रेलखंडों का आमान परिवर्तन कार्य पूरा नहीं किया जा सकता है। इससे इस क्षेत्र के रेलयात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जबकि, उक्त रेलखंडों के आमान परिवर्तन के लिए पहले वर्ष 2004 में तथा वर्ष 2009 में दो बार शिलान्यास किया जा चुका है। हालांकि शिलान्यास के वर्षों बाद 2017 में उक्त रेलखंडों पर छोटी लाइन की ट्रेनों का परिचालन बंद कर आमान परिवर्तन कार्य शुरू किया गया। दावा किया गया था कि यह अमान परिवर्तन कार्य दिसंबर 2018 में पूर्ण कर लिया जाएगा। लेकिन अप्रैल 2019 बीतने को है, मगर आमान परिवर्तन कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है। जिस कच्छप गति से अमान परिवर्तन कार्य चल रहा है, उससे प्रतीत होता है कि अभी भी इस कार्य को पूरा करने में कम से कम एक वर्ष और लगेगा। अब देखना है कि उक्त रेलखंड पर वर्ष 2020 में भी बड़ी लाइन की ट्रेनें दौड़ पाती है या नहीं। बहरहाल उक्त रेलखंडों पर अमान परिवर्तन कार्य के मद्देनजर रेलसेवा बंद रहने से इस क्षेत्र के लोगों की निर्भरता केवल सड़क मार्ग पर ही सिमटकर रह गई है।

------------------ सकरी-निर्मली एवं झंझारपुर-लौकहा अमान परिवर्तन कार्य को शीघ्र पूरा किया जाए। ताकि इस क्षेत्र के लोगों के लिए पुन: रेलसेवा बहाल हो सके।

-- प्रमोद कुमार प्रभाकर, पूर्व उप-प्रमुख, लखनौर

फोटो-19 एमडीबी 12

-------------- अमान परिवर्तन कार्य में अनावश्यक लेटलतीफी चिता का सबब बना हुआ है। इससे इस क्षेत्र के लोगों को रेलसेवा से वंचित होना पड़ रहा है।

-- मनोज कुमार दास, अधिवक्ता

फोटो- 19 एमडीबी 13

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अमान परिवर्तन कार्य शीघ्र पूरा किया जाए। ताकि इस क्षेत्र के लोग पुन: रेलसेवा से जुड़ सके तथा सड़क मार्ग पर निर्भरता समाप्त हो सके।

-- विजय कुमार सिंह, अधिवक्ता

फोटो- 19 एमडीबी 14

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