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बाढ़ में टूटीं सड़कें नहीं जुड़ी, चापाकल भी ध्वस्त

मधुबनी। मैं अकौन्हा गांव हूं। देवधा दक्षिणी पंचायत में मेरा वास है। अनुमंडल मुख्यालय से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर होने के बावजूद आजादी के इतने सालों बाद भी किसी रहनुमाओं ने मेरी ओर देखना मुनासिब नहीं समझा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 12:14 AM (IST)
बाढ़ में टूटीं सड़कें नहीं जुड़ी, चापाकल भी ध्वस्त
बाढ़ में टूटीं सड़कें नहीं जुड़ी, चापाकल भी ध्वस्त

मधुबनी। मैं अकौन्हा गांव हूं। देवधा दक्षिणी पंचायत में मेरा वास है। अनुमंडल मुख्यालय से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर होने के बावजूद आजादी के इतने सालों बाद भी किसी रहनुमाओं ने मेरी ओर देखना मुनासिब नहीं समझा। इस कारण मेरे वासी समस्याओं के तले जीने को विवश हैं। हर तरफ समस्या ही समस्या। मैं एक तरह से भारत-नेपाल सीमा के नो मैंस लैंड पर बसा हूं। मेरे आंगन में भ्रमण करते समय आपको सीमा के कई बार्डर पीलर भी देखने को मिलेंगे। मेरे निवासी दिन में कई बार नेपाल का भ्रमण कर लेते हैं।

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गांव जाने के लिए एक सड़क नहीं : मेरे यहां पहुंचने के लिए बांध से होकर बनाई गई सड़क जुलाई माह में आई भीषण बाढ़ में कई जगह क्षतिग्रस्त हो गई। ना तो कमला नहर प्रमंडल द्वारा बांध को बांधकर सड़क को आवागमन के लायक बनाया गया और ना प्रखंड प्रशासन इसे बनाना उचित समझा। इस कारण मेरे वासी के लिए प्रखंड मुख्यालय तक आवागमन दुरूह बना हुआ है। गांव के मुहल्लों में बनाई गई सड़क भी बाढ़ में क्षतिग्रस्त होकर बदहाली पर आंसू बहा रही है। गांव में जल नल योजना के तहत एक ही वार्ड में काम हो रहा है। बाढ़ में कई चापाकल घ्वस्त हो गए। गांव में पेयजल के लिए लोग भटकने को मजबूर हैं। तीन किलोमीटर की दूरी तय कर राशन लाने की मजबूरी : मेरे यहां जन वितरण प्रणाली की एक भी दुकान नहीं रहने से मेरे वासी को तीन किलोमीटर की दूरी तय कर पीठवाटोल जाकर अनाज लाने की मजबूरी बनी हुई है। उस पर मेरे कई गरीब-गुरबा पुत्र-पुत्रियों को राशन कार्ड भी उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। मेरे यहां शौचालय का तो निर्माण कराया गया। मगर, अब तक सहायता राशि के लिए लोग भटकने को मजबूर हैं। बाढ़ में दर्जनों घर क्षतिग्रस्त हो गए। मगर, अंचल प्रशासन द्वारा अब तक कोई भी सहायता राशि अब तक नहीं दी जा सकी है। बाढ़ सहायता राशि के लिए भी लोग अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। अब तक मेरे वासी का गोल्डन स्वास्थ्य कार्ड भी नहीं बन सका है। इस कारण गरीबों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। मेरे यहां मच्छड़ों से निजात पाने के लिए कभी दवा का छिड़काव नहीं किया गया है। नाला का निर्माण नहीं होने से जलनिकासी समस्या बनी हुई है। क्या कहते है लोग :

प्रखंड मुख्यालय से गांव जाने वाली सड़क बाढ़ में क्षतिग्रस्त हो गई। इसे अब तक आवागमन के लायक नहीं बनाया जा सका है। ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पर रहा है।

मेतीलाल यादव गांव की क्षतिग्रस्त सड़कों का निर्माण नहीं होने से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।

नथुनी राइन आंकड़ा

आबादी : 5000,

मतदाता : 1000,

विद्यालय : एक

आंगनबाड़ी केंद्र : दो


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