खुलासा : बाढ़, वर्षा और तस्कर लील गए भारत-नेपाल सीमा के हजारों पिलर
भारत-नेपाल की खुली सीमा पर अवस्थित पिलरों (सीमा चिह्न) को तस्करों और अन्य अवांछित तत्वों की नजर लग गई है। ये पिलर बाढ़ व बारिश से भी क्षतिग्रस्त होते रहे हैं। हालत यह है कि दोनों देशों की सीमा पर लगाए गए हजारों पिलर गायब हो गए हैं ।
मधुबनी [रामप्रकाश चौरसिया]। भारत-नेपाल की खुली सीमा पर अवस्थित पिलरों (सीमा चिह्न) को तस्करों और अन्य अवांछित तत्वों की नजर लग गई है। ये पिलर बाढ़ व बारिश से भी क्षतिग्रस्त होते रहे हैं। हालत यह है कि दोनों देशों की सीमा पर लगाए गए हजारों पिलर गायब हो गए हैं तो हजारों क्षतिग्रस्त हैं।
अकेले मधुबनी की बात करें तो 38 मुख्य व सहायक पिलर या तो गायब हैं या फिर जमींदोज हो चुके हैं। इससे भविष्य में सीमा विवाद की स्थिति आ सकती है। नेपाल से भारत के कई राज्य, यथा बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल व सिक्किम की सीमाएं सटी हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग की ओर से उपलब्ध आंकडों के अनुसार, बिहार से सटे भारत-नेपाल सीमा पर पिलरों की संख्या 5045 है। इनमें 1716 पिलर गायब हो गए हैं तो 1557 पिलर क्षतिग्रस्त हैं।
उत्तर प्रदेश से सटी नेपाल की सीमा पर 1390 पिलर लगे हैं। इसमें 288 गायब हो गए हैं, वहीं 319 क्षतिग्रस्त हैं।
उत्तराखंड सीमा पर 56 पिलर हैं, जिनमें 10 क्षतिग्रस्त और चार गायब हैं। पश्चिम बंगाल में भारत-नेपाल सीमा पर लगे 361 पिलरों में से 35 क्षतिग्रस्त व 60 गायब हैं। इसी तरह सिक्किम से सटे 50 पिलरों में से छह क्षतिग्रस्त और पांच गायब हैं।
केवल मधुबनी जिले से सटी सीमा पर 409 सब पिलर हैं, जिनमें नौ गायब हैं तो कुछ क्षतिग्रस्त हैं। यहां 29 मेन पिलर भी गायब हो गए हैं। सीमा प्रबंधन विभाग ने सूबे के गृह सचिव को पत्र भेजकर पिलरों के गायब होने पर अपनी चिंता जताई है।
सीमा पर अतिक्रमण
भारत-नेपाल सीमा अतिक्रमणकारियों की जद में है। मधुबनी जिले से पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की 120 किमी सीमा लगती है। कई जगहों पर नो मेंस लैंड का अस्तित्व खत्म हो गया है। 2003 के बाद से भारतीय सर्वेक्षण दल का आगमन नहीं हुआ है। इससे गायब या क्षतिग्रस्त पिलरों स्थिति यथावत है। जिला प्रशासन व एसएसबी के स्तर से कई बार पत्राचार किया गया है।
गृह (विशेष) विभाग के उप सचिव विमलेश कुमार झा ने केंद्र सरकार के संबंधित अधिकारियों से सीमा स्तंभों की मरम्मत व पुनर्स्थापना के लिए समुचित निदेश देने का आग्रह किया है। लेकिन, कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आ सका है।
मधुबनी के डीएम गिरिवर दयाल सिंह ने भी बताया कि भारत-नेपाल सीमा के क्षतिग्रस्त व गायब सीमा स्तंभों की मरम्मत व पुनस्र्थापन के लिए भारतीय सर्वेक्षण दल के भ्रमण हेतु पत्राचार किया गया है। मार्गदर्शन मिलने पर इस दिशा में अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।