90 लाख सरकारी राशि के गबन में रिटायर्ड बीईओ भी फंसे
मधुबनी। अब एक रिटायर्ड बीईओ उमेश बैठा भी 90 लाख रुपये से भी अधिक सरकारी राशि के गबन के आरोप में फंस गए हैं।
मधुबनी। अब एक रिटायर्ड बीईओ उमेश बैठा भी 90 लाख रुपये से भी अधिक सरकारी राशि के गबन के आरोप में फंस गए हैं। इस कारण अब घोघरडीहा के निलंबित बीईओ शशि शेखर के साथ-साथ मधवापुर प्रखंड से रिटायर्ड हुए बीईओ उमेश बैठा के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश डीईओ नसीम अहमद ने डीपीओ-स्थापना को दे दिया है। डीईओ ने पहले केवल शशि शेखर के विरुद्ध ही 51.15 लाख रुपये सरकारी राशि की अवैध निकासी कर गबन करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। लेकिन, अब उमेश बैठा के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश डीईओ ने दिया है। मधवापुर प्रखंड में प्रखंड शिक्षक तथा पंचायत शिक्षक के नियोजन में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में महीनों पूर्व उमेश बैठा के विरुद्ध नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है। अब 90 लाख रुपये से भी अधिक सरकारी राशि की निकासी कर गबन कर लिए जाने के आरोप में भी उमेश बैठा के विरुद्ध भी प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। मधवापुर प्रखंड में शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा के आरोप में उमेश बैठा के विरूद्ध पहले से ही विभागीय कार्यवाही भी चल रही है। सेवानिवृत्त् होने के बाद भी सरकारी खाता से राशि की निकासी करने, सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने, सरकारी अभिलेख को अनाधिकृत रूप से अपने कब्जे में रखने, सरकारी खाते से राशि निकासी कर गबन करने, सरकारी खाते से राशि का हस्तांतरण साजिश के तहत अनाधिकृत शिक्षकों एवं व्यक्तियों के खाते में करने, धोखाधड़ी करने, रिटायर्ड होने के बाद भी मधवापुर प्रखंड का प्रभार नहीं सौंपने आदि के आरोप में भी उमेश बैठा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश डीईओ ने डीपीओ-स्थापना को दिया है। उमेश बैठा से राशि की वसूली के लिए नीलामपत्र वाद भी दायर करने का आदेश दिया है। उक्त दोनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए डीपीओ-स्थापना नगर थाना भी मंगलवार को पहुंचे थे, लेकिन घटनास्थल नगर थाना क्षेत्र नहीं होने का हवाला देकर नगर थाना के अधिकारी प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया। इसके बाद घोघरडीहा एवं मधवापुर थानों में उक्त मामले की प्राथमिकी दर्ज कराने की संभावना व्यक्त की जा रही है। उल्लेखनीय है कि डीवाइएफआइ राज्य सचिव मंडल सदस्य एवं जिला जदयू महासचिव फूलदेव यादव द्वारा समर्पित परिवाद पत्रों के आधार पर जब डीईओ ने डीपीओ-एमडीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया तो सरकारी राशि गबन करने का आरोप सही साबित हुआ। इसके बाद प्राथमिकी का आदेश दिया गया है। इस कारण इस मामले का पर्दाफाश करने का श्रेय उक्त दोनों नेताओं को जाता है।