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मधुबनी में गर्भवती महिलाओं को मायके, बुजुर्गो व बीमारों को रिश्तेदारों के यहां भेजने की तैयारी

बारिश का मौसम आते ही बेनीपट्टी की करहारा पंचायत के लोगों को बाढ़ का भय सताने लगा है। क्षेत्र में रुक-रुककर हो रही बारिश और नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में हो रही भारी बारिश ने दो नदियों के बीच बसे करहारा पंचायत के लोगों की धड़कनें बढ़ा दी है। हालांकि अभी स्थिति सामान्य है लेकिन नेपाल क्षेत्र में हो रही बारिश से इनकी स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 12:09 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 12:09 AM (IST)
मधुबनी में गर्भवती महिलाओं को मायके, बुजुर्गो व बीमारों को रिश्तेदारों के यहां भेजने की तैयारी
मधुबनी में गर्भवती महिलाओं को मायके, बुजुर्गो व बीमारों को रिश्तेदारों के यहां भेजने की तैयारी

मधुबनी । बारिश का मौसम आते ही बेनीपट्टी की करहारा पंचायत के लोगों को बाढ़ का भय सताने लगा है। क्षेत्र में रुक-रुककर हो रही बारिश और नेपाल के जलग्रहण क्षेत्र में हो रही भारी बारिश ने दो नदियों के बीच बसे करहारा पंचायत के लोगों की धड़कनें बढ़ा दी है। हालांकि, अभी स्थिति सामान्य है, लेकिन नेपाल क्षेत्र में हो रही बारिश से इनकी स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है। अधवारा समूह के धौंस एवं थुम्हानी नदी से घिरे करहारा पंचायत के लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने को विवश है। बारिश का मौसम आते ही गांव से लोगों का पलायन भी शुरू हो जाता है। इस बार भी संभावित बाढ़ की आशंका को देखते हुए गर्भवती महिलाओं को मायके और बुजुर्गों व बीमारों को रिश्तेदारों के यहां भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

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आवश्यक सामग्री जुटाने लगे लोग :

बाढ़ की आशंका से त्रस्त लोग तीन माह के लिए राशन सामग्री व अन्य सामान के साथ ही पशुचारा जुटाने में लग गए हैं। नदी का जलस्तर कभी भी बढ़ सकता है और उसके बाद उनका बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा। बाढ़ के दौरान पूरा इलाका चारों तरफ पानी से घिर कर टापू बन जाता है। अधवारा समूह के धौंस नदी में बने बांस का चचरी पुल बह जाने से नदी में नाव का परिचालन शुरू हो गया है। धौंस नदी के करहारा घाट पर पुल नहीं रहने के कारण आठ माह चचरी पुल एवं चार माह नाव के सहारे ही यहां के लोग जीवन व्यतीत करते हैं।

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हर साल परेशानी झेलती 20 हजार की आबादी :

20 हजार की आबादी वाले करहारा पंचायत में करहारा, सोहरौल, करहाराडीह एवं बिर्दीपुर गांव पड़ते हैं। पंचायत का यह चार गांव दो नदियों व चारों ओर से महाराजी बांध से घिरा हुआ है। रूक-रूक कर हो रही बारिश एवं सुरक्षा बांध जर्जर व क्षतिग्रस्त रहने से बाढ़ की आशंका से लोग परेशान हैं। बाढ़ के समय ग्रामीणों के लिए नाव एकमात्र सहारा होता है। लोग तीन माह के लिए चावल, आटा, दाल, आलू, प्याज सहित अन्य सामग्री जुटाने में लग गए हैं।

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चचरी पुल बनाने व बहने का वर्षों से चल रहा सिलसिला :

धौंस नदी पर पुल नहीं रहने के कारण हर वर्ष यहां के लोग आपसी सहयोग से करीब एक सौ फीट में बांस का चचरी पुल बनाते हैं। नदी में जलस्तर बढ़ने के साथ ही चचरी पुल बह जाता है। स्थिति सामान्य होने पर लोग फिर से चचरी पुल बनाते हैं। यह सिलसिला वर्षाें से चल रहा है। इस बार भी चचरी पुल बह चुका है और लोग नदी पार करने के लिए नाव के सहारे हैं। करहारा पंचायत की मुखिया शीला देवी, पूर्व मुखिया देवेंद्र प्रसाद यादव, श्याम सहनी, ललित यादव, विनोद यादव, शंभु यादव, संजय यादव, लाल यादव, रामबाबू यादव, दिनेश यादव आदि ने बताया कि हर वर्ष करहारा पंचायत के लोग बाढ़ का दंश झेलने को विवश हैं। पंचायत में महाराजी बांध की हालत खराब है। बाढ़ के दौरान लोगों को मध्य विद्यालय करहारा व सोहरौल में शरण लेना पड़ता है। नदी में पुल नहीं है। बांध के सहारे ही लोग गांव पहुंचते हैं। बीमार मरीजों को खाट पर लादकर लाया जाता है। बाढ़ के दिनों में बीमार व प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को नाव या एनडीआरएफ की बोट से लाया जाता है। आजादी के सात दशत बीत जाने के बाद भी करहारा गांव विकास से कोसों दूर है।


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