धान की फसल की कटाई और दौनी हार्वेस्टर मशीन से
मधुबनी। सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। सरकार के इस संकल्प को
मधुबनी। सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। सरकार के इस संकल्प को कृषि से जुड़े कई विभाग पूरा करने की कवायद कर रहे हैं। स्थानीय धान अनुसंधान केन्द्र या यूं कहे क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र भी इस जुगत में लगा है। इस बार केन्द्र ने बस स्टैण्ड के नजदीक कमला बलान बांध से पश्चिम अपनी दस एकड़ में से साढ़े सात एकड़ जमीन में धान की फसल की थी। यह फसल जीरो टीलेज विधि को अपनाकर धान के बीज की सीधी बुआई विधि से की गई थी। अभिप्राय यह है कि इस विधि में धान का बिचड़ा बनाने और बिचड़ा को उखाड़कर पुन: लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह विधि मिथिलांचल के उन क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान है जो बीज गिराते हैं लेकिन बारिश न होने अथवा अत्यधिक बारिश के कारण बीचड़ा के नष्ट हो जाने के कारण खेती ही नहीं कर पाते। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर दास ने बताया कि इस बार की खेती में धानके राजश्री प्रभेद का बीज लगाया गया था। अब कटनी में इसका परिणाम सुखद रहा है। कटाई के बाद एक कठ्ठा में धान की यह किस्म 100 किलो की दर से उत्पादित हुई है। उन्होंने कहा कि इस बीज को कृषि एवं बीज प्रक्षेत्र के निदेशक तिरहुत कृषि विश्वविद्यालय ढोली को भेजा जाएगा। वहां से इस धान को प्रसंसिकृत कर किसानों के बीज के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस विधि से खेती करने तथा कंबाईड हारवेस्टर मशीन से धान की कटनी व दौनी करने पर मजदूरी में लागत बहुत कम आती है और प्रति कठ्ठा यह रकम मात्र 170 रुपया पड़ता है। इस विधि से किसानों को खूब फायदा होता है। मृदा वैज्ञानिक डॉ. सुधीर कुमार ने किसानों से अपील की कि वे इस तकनीक को अपनाकर अपनी आमदनी दोगुनी से भी ज्यादा कर सकते हैं। इस अवसर पर वरीय शोधकर्ता आशुतोष यादव, वरीय तकनीकी सहायक धीरेन्द्र कुमार भी मौजूद थे।