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पराली जलाने से रोकने को किसानों को करें जागरूक

मधुबनी। डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने कृषि विभाग के प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों एवं कर्मियों के साथ नगर भवन में समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने किसानों द्वारा पराली जलाने को लेकर कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इसे जलाने पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 11:50 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 06:25 AM (IST)
पराली जलाने से रोकने को किसानों को करें जागरूक
पराली जलाने से रोकने को किसानों को करें जागरूक

मधुबनी। डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने कृषि विभाग के प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों एवं कर्मियों के साथ नगर भवन में समीक्षा बैठक की। इसमें उन्होंने किसानों द्वारा पराली जलाने को लेकर कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि इसे जलाने पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। साथ ही बहुत तरह की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। मिट्टी में जो लाभकारी जीवाणु रहते हैं वे भी जल जाते हैं। फसल अवशेष प्रबंधन के गंभीरता को देखते हुए डीएम ने सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को निर्देश दिया कि किसानों को पराली जलाने से रोकने एवं फसल अवशेष प्रबंधन पर जोर देने के लिए जागरूक करें।

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डीएम ने खरीफ मौसम में बाढ़ एवं अतिवृष्टि के कारण प्रभावित फसल एवं अल्पवृष्टि के कारण कृषि योग्य परती भूमि से हुई क्षति में कृषि इनपुट अनुदान वितरण से संबंधित दिशा-निर्देश दिया। बताया गया कि विभाग को उपलब्ध जो रिपोर्ट के आधार पर सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि समन्वयक, सभी प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सभी सहायक तकनीकी प्रबंधक, सभी किसान सलाहकार कार्रवाई करेंगे। सभी किसानों का जियो टैग फोटोग्राफी के माध्यम से सर्वे करेंगे। जिनका 33 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है। डीएम ने यह भी बताया कि किसानों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें वास्तविक खेतिहर को कृषि इनपुट अनुदान वितरण में प्राथमिकता देने का निर्देश दिया गया। वास्तविक खेतिहर के आवेदनों को सत्यापित के लिए दिशा-निर्देश भी दिए गए। बताया गया कि अल्पवृष्टि के कारण परती योग्य भूमि के मामले में, वैसी भूमि को माना जाएगा जिसमें इस वर्ष किसी तरह की आकस्मिक या वैकल्पिक फसल नहीं लगी हो। वहीं किसी तरह के किसी कार्य नहीं करा पाए हों। जमीन संपूर्ण खरीफ फसल में परती पड़ी हो। साथ ही जिसमें भूतकाल में कभी भी किसी तरह का फसल नहीं लगाई गई हो। गत तीन वर्ष की अवधि में किसी भी वर्ष यदि कोई फसल नहीं लगाई गई हो तो ऐसे क्षेत्र में इस बार सुखाड़ के कारण परती रहने की स्थिति में भूमि परती माना जाएगी। सभी जांचकर्ता को निर्देश दिया गया कि किसानों फसल क्षति का शत-प्रतिशत जियो टैग फोटोग्राफी के माध्यम से सर्वेक्षण कराना सुनिश्चित करेंगे । बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण सतीश चंद्र झा, कृषि विज्ञान केंद्र, बसैठ के कार्यक्रम समन्वयक मंगलानंद झा, प्रखंड के सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सभी कृषि समन्वयक, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक, सहायक सभी किसान सलाहकार एवं सभी प्रखंड के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।


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