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महाकवि पं. लालदास ने मैथिली भाषा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई

मधुबनी । झंझारपुर अनुमंडल क्षेत्र स्थित खड़ौआ गांव महाकवि पं. लालदास की जन्मस्थली है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 11:19 PM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 11:19 PM (IST)
महाकवि पं. लालदास ने मैथिली भाषा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई
महाकवि पं. लालदास ने मैथिली भाषा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई

मधुबनी । झंझारपुर अनुमंडल क्षेत्र स्थित खड़ौआ गांव महाकवि पं. लालदास की जन्मस्थली है। इसी खड़ौआ गांव में स्थित लालदास उच्च विद्यालय परिसर में महाकवि पं. लालदास की स्मृति सह जयंती समारोह का भव्य आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. अशोक कुमार झा अविचल, विशिष्ट अतिथि डॉ. विनय कर्ण, भैरव लाल दास, अजित आजाद, प्रवीण नारायण चौधरी एवं गणमान्य मनीषियों ने विद्यालय परिसर में स्थापित महाकवि पंडित लालदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। समारोह की अध्यक्षता कर रहे जन शिक्षण संस्थान के सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. नरेश झा ने कहा कि महाकवि पं. लालदास की साहित्य रचना का शोध करने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी में मैथिली भाषा के संयोजक डॉ. अशोक अविचल ने कहा कि महाकवि पं. लालदास अपनी लेखनी से मैथिली भाषा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उग्राद्या रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर के निदेशक डॉ. विनय कर्ण ने महाकवि पं. लालदास के कृतित्व को अनुकरणीय बताते हुए कहा कि मैथिली अब रोजी-रोटी की भाषा बन चुकी है। मैथिली साहित्य के समालोचक अजित आजाद ने महाकवि पं. लालदास द्वारा रचित मिथिला रामायण की विशिष्टता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाकवि के रामायण में मां सीता का जो स्थान दिया गया है वह अन्य रामायण में नहीं मिलता। इतिहासकार भैरव लाल दास ने महाकवि की रचना में राजनीतिक और सांस्कृतिक चेतना दिखती है। उन्होंने साहित्य अकादमी के मैथिली भाषा के संयोजक डॉ. अविचल से साहित्य अकादमी के कैलेंडर में महाकवि पं. लालदास का नाम शामिल करने का अनुरोध किया। संचालक व हिदी मैथिली के उद्घोषक डॉ. संजीव शर्मा ने कहा कि महाकवि पंडित लालदास की अप्रकाशित रचनाओं को प्रकाशित कर जन-जन तक पहुंचा सकें तो यह महाकवि लालदास को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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समारोह में मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों को समिति की ओर से फूलमाला, शॉल एवं मोमेंटो से सम्मानित किया गया। स्वागत भाषण समिति के अजय कुमार दास ने किया। समारोह का शुभारंभ ब्राह्मणी झा के गुरु वंदना से हुआ। कंचन, ज्योति एवं नंदनी ने स्वागत गान प्रस्तुत की। ब्राह्मणी झा ने राग यमन में छोटा ख्याल की बंदिश भी प्रस्तुत की। वहीं बाल गायिका विदिशा दास ने महाकवि रचित महेशवाणी चलू -चलू सखिया प्रस्तुत की। कंचन एवं सहेली ने महाकवि रचित नचारी की प्रस्तुति दी। सिद्धि राधा ने क्लासिकल फ्यूजन डांस की मनमोहक प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। समारोह में समिति के मनहर गोपाल, रघुवीर मोची, सुनील कुमार दास, प्रमोद कुमार दास, राजेन्द्र कुमार दास, आमोद कुमार दास, विजय कुमार दास, रीता देवी, कल्पना दास, जया रानी, उमेश चन्द्र दास, प्रवीण कुमार दास, रोहित कुमार दास, योगानंद दास, विनय कुमार दास, अजय कुमार दास, सुधीर कुमार दास, प्रमोद कुमार दास आदि भी मौजूद रहे।


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