विश्व कीर्तिमान बनाने के करीब पहुंचा मधुबनी रेलवे स्टेशन
मधुबनी। मधुबनी पेंटिग के लिए देश भर में अपनी अलग पहचान कायम करने वाला मधुबनी रेलवे स्टेशन गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल होने की दहलीज पर पहुंच गया है। इसके आखिरी सर्वेक्षण के लिए आगामी 27 सितंबर की तिथि निर्धारित की गई है।
मधुबनी। मधुबनी पेंटिग के लिए देश भर में अपनी अलग पहचान कायम करने वाला मधुबनी रेलवे स्टेशन 'गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' में शामिल होने की दहलीज पर पहुंच गया है। इसके आखिरी सर्वेक्षण के लिए आगामी 27 सितंबर की तिथि निर्धारित की गई है। 'गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' में मधुबनी रेलवे स्टेशन को सबसे बड़े मुक्त आकाश मिथिला आर्ट गैलरी के रुप में शामिल किया जा सकता है। इसके लिए ऐरो मार्केट रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड व वामदेव योगा साइंस एंड रिसर्च सेंटर द्वारा 'गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' को आवेदन किया गया था। इस सिलसिले में दिल्ली स्थित
ऐरो मार्केट रिसर्च प्राईवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अनिल कुमार झा तथा वामदेव योगा साइंस एंड रिसर्च सेंटर के योगाचार्य रवि व्योम शंकर झा द्वारा
गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के मनीष विष्णोई को बुके भेंट किया गया। योगाचार्य रवि व्योम शंकर झा ने जागरण को दूरभाष पर बताया कि मधुबनी रेलवे स्टेशन 'गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' शामिल करने के लिए 'गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' के प्रतिनिधियों का 27 सितंबर को मधुबनी स्टेशन पर आगमन होगा। उक्त तिथि को मधुबनी रेलवे स्टेशन को 'गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स' में शामिल किए जाने संबंधी प्रमाण पत्र समर्पित किया जाएगा हैं।
देश के स्वच्छ व सुंदर स्टेशनों में मधुबनी का दूसरा स्थान पूर्व-मध्य रेल के समस्तीपुर मंडल अंतर्गत जयनगर-दरभंगा रेलखंड स्थित मधुबनी रेलवे स्टेशन अपने आप में अनोखा है। विश्व प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिग के लिए विख्यात इस भू-भाग का यह रेलवे स्टेशन यहां पहुंचने वाले यात्रियों, आमलोगों का इस विख्यात चित्रकला से बखूबी परिचय करा रहा है। इसकी दरो-दीवार को मधुबनी पेंटिग के स्थानीय कलाकारों ने इस कदर सुसज्जित कर दिया है कि यहां आगंतुकों को कला दीर्घा में होने का भान होता है। मालूम हो कि वर्ष 2018 में भारतीय रेलवे ने देशभर के उन स्टेशनों के नाम आमंत्रित किये गए, जिनका सबसे अच्छा सौदर्यीकरण किया गया है। पूरे 11 जोन से 62 स्टेशनों के नाम आए थे। इन 62 स्टेशनों में से पहला 10 लाख रुपये का पुरस्कार महाराष्ट्र के बल्लारशाह और चंद्रपुर रेलवे स्टेशन को दिया गया। दूसरा पांच लाख रुपये का पुरस्कार पूर्व मध्य रेलवे के मधुबनी स्टेशन और दक्षिण रेलवे के मदुरै स्टेशन को दिया गया। तीसरा तीन लाख रुपये का पुरस्कार पश्चिमी रेलवे के गांधीधाम, पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा और दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद को दिया गया था।