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पूर्वजों की याद दिला रही हरियाली

मधुबनी। हरियाली बहाल रखने के लिए पूर्वजों की पहचान के रूप में आज भी पुराने पेड़ों ने सीख लेने की जरूरत है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 12:13 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 12:13 AM (IST)
पूर्वजों की याद दिला रही हरियाली
पूर्वजों की याद दिला रही हरियाली

मधुबनी। हरियाली बहाल रखने के लिए पूर्वजों की पहचान के रूप में आज भी पुराने पेड़ों ने सीख लेने की जरूरत है। पुराने पेड़ों की रक्षा की जिम्मेवारी से भी मुकर नहीं सकते हैं। पुराने पेड़ों का संरक्षण समाज को नया जीवन प्रदान करता रहा है। मगर, देखरेख के अभाव में अब ये धीरे-धीरे सूख रहे हैं। ऐसे पेड़ों की सुरक्षा अब युवाओं की जिम्मेदारी बन गई है। पुराने पेड़ों के संरक्षण के लिए प्रयास को आगे बढ़ाना ही होगा। जिले में आज भी पुराने पेड़ों की कमी नहीं है। मेरे लगाए गए पौधों की फूल ईश्वर को अर्पित होने से मिलती खुशी बचपन में स्वजनों को खेत-खलिहान में पौधा लगाते और उसकी देखभाल करते देख मन में जिज्ञासा होती थी। छोटे-छोटे पौधा को जमीन पर बड़ा होने की लालसा मन में रहती थी। पूर्वजों से मिली संस्कार आगे चलकर मुझे भी पौधरोपण के प्रति आकर्षित करने लगा। पहले तो कोई भी पौधों को कहीं भी लगा देने से मन को सकून मिलता था। उन पौधों को नियमित रूप से पानी देते हुए उसकी देखभाल करते थे। इन पौधों को प्रतिदिन बड़े गौर से देखा करते थे। पौधों में फूल खिलने से खुशी का ठिकाना नहीं रहता था। वह खुशी आत्म विभोर कर देता था। लगाए गए पौधे से आए फूल ईश्वर को अर्पित होने से बड़ी खुशी होती थी। इस तरह मन-मस्तिष्क में पौधरोपण का संकल्प बैठ गया। अब जब भी कहीं निकलते तो कुछ पौधे साथ लेकर चलते हैं। राह में मिलने वाले किसी भी व्यक्ति को पौधा देखकर उसके संरक्षण का संकल्प लेते है। अबतक करीब तीन हजार से अधिक पौधों का वितरण कर चुका हूं।

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- कुंदन प्रताप सिंह

फोटो 5 एमडीबी 18 पौधा वितरण के अवसरों का रहता इंतजार किसी भी मौके पर पौधों का वितरण करना शायद पूर्वजों से प्राप्त संस्कार हो सकता है। अवसर चाहे आध्यात्मिक हो या समाज या फिर मांगलिक कार्य। ऐसे मौकों पर पौधों का वितरण से बड़ी खुशी होती है। दो दशक पूर्व पौधे वितरण कार्य से संकोच होता था। बाद में पौधा वितरण कार्य आत्म संतुष्टि प्रदान करने वाला साबित होता चला गया। पौधों को वितरण करने के अवसरों को तलाश करने लगे। श्री सत्य साईं सेवा संगठन द्वारा आयोजित होने वाले आध्यात्मिक परिचर्चा या विशेष अवसरों पर आगत अतिथियों को ईश्वर का प्रसाद समझकर पौधों का वितरण की ओर बढ़ने लगे। वितरण किए गए पौधों को देखने के लिए लोगों के घर का जाते रहे।उन पौधों से लगे फूल और उसकी की खुशबू अच्छी लगती था। सरकारी स्तर पर पौधरोपण कार्यक्रम से आम लोगों को जोड़ने की जरूरत है। अबतक लोगों के बीच दो हजार से अधिक पौधा उपहार स्वरूप वितरण कर चुके हैं

- प्रशांत कुमार

फोटो 5 एमडीबी 19 गांव की पहचान बन गए पूर्वजों द्वारा लगाए गए पौधे पौधरोपण हरियाली के लिए उपयुक्त होने के अलावा आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करने वाला होने को देखते हुए अपने खेत- खलिहान में पौधरोपण के प्रति निरंतर जागरूक रहे हैं। अपने जमीन व खेतों में फल सहित विभिन्न किस्म के पौधों को लगाने के क्रम में लोगों को इसके प्रति जागरूक करते हुए बड़ी संख्या में पौधों का वितरण कर चुके हैं। खुद से लगाए गए पौधे जवान हो चुके हैं। वहीं पूर्वजों द्वारा लगाए गए में से दर्जनों पहुंचे आज गांव की पहचान बन चुकी है। गांव की पहचान बन चुके ऐसे पेड़ो की पूजे जाते हैं। पौधों की देखभाल में निरंतर जागरूक रहना इससे लाभान्वित हो रहे हैं।

- गुणानंद यादव

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