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बाढ़ का हर वर्ष झेलना पड़ता दंश, मुआवजा के लिए रहती टकटकी

मधुबनी। मै राजारामपट्टी गांव हूं। पश्चिमी कोसी तटबंध के किनारे पांची पर्वता पहाड़ी नदियों के आगोश मे बसा हूं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 12:47 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 12:47 AM (IST)
बाढ़ का हर वर्ष झेलना पड़ता दंश, मुआवजा के लिए रहती टकटकी
बाढ़ का हर वर्ष झेलना पड़ता दंश, मुआवजा के लिए रहती टकटकी

मधुबनी। मै राजारामपट्टी गांव हूं। पश्चिमी कोसी तटबंध के किनारे पांची पर्वता पहाड़ी नदियों के आगोश मे बसा हूं। लौकही प्रखंड की बरूआर पंचायत अनंर्गत इस गांव में कई जाति एवं समुदाय के लोग हैं। सद्यांप्रदायिक सछ्वाव एवं भाईचारा को जिदा रखे इस गांव में आज भी अपनत्व की भावना कायम है। करीब तीन हजार की जनसंख्या वाले मेरे गांव की राजनीतिक पहचान भी है। यहां के यमुना प्रसाद मंडल करीब 17 वर्ष तक सांसद रहे। उनके पुत्र डॉ. चितरंजन प्रसाद यादव दो बार विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमा चुके हैं। मेरे यहां श्री सीताराम भगवान की चार मंदिर हैं। यहां वर्षों से श्री राम का पर्व मनाया जाता है। एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय एक ग्रामीण बैंक की शाखा एवं एक गैस वितरण एजेंसी है। मेरे यहां खराब स्थिति विद्यालय में शिक्षा की है। पांच शिक्षक एवं एक टोला सेवक गांव के विद्यालय मे कार्यरत हैं। वैसे मै अक्सर बाढ़ दंश झेलता हूं। सरकार द्वारा बाढ़ से प्रभावितों को सहायता भी मिलती। मगर,कई परिवार आज भी उस लाभ से वंचित हैं। इस गांव के बुजुर्ग ठकाई यादव (95) बताते हैं कि उन्हें तथा पत्नी को पेंशन नहीं मिलती है। इसके लिए कई बार आवेदन दिया। मगर, आजतक उन्हें पेंशन नहीं मिली। गांव की एक मुख्य सडक जो निर्मली-कुनौली सड़क से नरहिया बाजूबन्द सड़क को जोड़ती है, कच्ची है। बरसात के मौसम में इस पर चलना दूभर हो जाता है। यह करीब एक किलोमीटर की दूरी तय करने के लिये ढाई किलोमीटर की दूरी लोगों को तय करनी पड़ती है। क्षेत्रीय विधायक एवं आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने इस सडक के निर्माण का आश्वासन दिया। मगर, यहां के लोगों के लिए आजतक यह सपना ही बनकर रह गया है। गांव की सड़कें अतिक्रमण की शिकार है। गांव में वाहन का चलना भी दूभर है। गांव के पोखर का अतिक्रमण दिनों-दिन होते जा रहा है। पोखड भिडा पर लोग घर मकान बनाते जा रहे हैं। सरकार के जल संचय कार्यक्रम के लिए इन पोखरों को अतिक्रमण से बचाना आवश्यक है। मगर, स्थानीय प्रशासन इस गांव को कब अतिक्रमण से मुक्ति दिलाएगी, कहना कठिन है।

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