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बाढ़ बीते कई माह हो गए, आज भी तंबू में रहने की विवशता

मधुबनी। कमला नदी के किनारे बसा मैं बेतौन्हा बजराहा गांव हूं। बेलही पश्चिमी पंचायत स्थित मेरे गांव से ही भारत-नेपाल को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क गुजरती है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 10:52 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 10:52 PM (IST)
बाढ़ बीते कई माह हो गए, आज भी तंबू में रहने की विवशता
बाढ़ बीते कई माह हो गए, आज भी तंबू में रहने की विवशता

मधुबनी। कमला नदी के किनारे बसा मैं बेतौन्हा बजराहा गांव हूं। बेलही पश्चिमी पंचायत स्थित मेरे गांव से ही भारत-नेपाल को जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण सड़क गुजरती है। सीमा पर तैनात एक एसएसबी की सीमांत चौकी विगत दो दशकों से क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में मददगार साबित हो रहा है। मेरे आंगन में अवस्थित कान्हर बाबा मंदिर आस्था का केंद्र है। प्रतिवर्ष स्थानीय के साथ नेपाल के श्रद्धालु भी यहां पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। मेरे पुत्र-पुत्रियों की कमला नदी की बाढ़ से सुरक्षा के लिए रिग बांध बनाया गया। मगर, इस बार की भीषण बाढ़ ने रिग बांधों को चार जगहों पर तोड़कर ऐसी तबाही मचाई कि आज भी रुह कांप जाती है। पलायन का दर्द तो बाढ़ सहायता राशि नहीं मिलने

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जुलाई में आई बाढ़ की त्रासदी इस वर्ष ग्रामीणों को सबसे अधिक झेलनी पड़ी। रिग बांध के चार जगहों पर टूटने से दर्जनों परिवार का घर बाढ़ में विलिन हो गया। सरकार के नुमाइंदों के उदासीन रवैया के कारण आज भी मेरे पुत्र-पुत्रियां तंबू एवं क्षतिग्रस्त घरों में रहने को मजबूर हैं। कई परिवारों को घर नहीं रहने से वे पलायन कर रहे। वे सगे-संबंधियों के घर समय गुजार रहे हैं। क्षतिग्रस्त बांध एवं सड़कों की मरम्मत के नाम पर खानापूरी होने से अलग परेशानी झेलनी पर रही है। यहां आई केंद्रीय टीम को अंचल प्रशासन ने सभी पीड़ितों को बाढ़ सहायता राशि देने का वादा किया गया। मगर, इसका अनुपालन आज तक नहीं हो सका। शौचालय बनाने वाले 25 प्रतिशत लाभुकों को आज भी सहायता राशि नहीं मिली। नल-जल योजना के तहत काम तो कराया गया। मगर, बाढ़ ने सबकुछ खत्म कर दिया। कई चापाकल भी क्षतिग्रस्त हो गए। इस कारण पेयजल के लिए कड़ी मशक्कत करनी पर रही है। पेंशन योजना के लाभुकों के खाते में राशि नहीं पहुंचने से वृद्धजन परेशान हैं। दलित, अतिपिछड़ा बहुल गांव होने के बावजूद दर्जनों परिवार राशन कार्ड से वंचित है। पशुपालकों के लिए पशुचारा की व्यवस्था नहीं किए जाने से आक्रोश है। ------------------------ डेढ़ वर्ष पूर्व नेपाल जा रहे तीर्थयात्रियों की बस के बिजली तार की चपेट में आ जाने से एक यात्री की मौत हो गई थी। ग्रामीणों के हंगामे के बाद भी विभाग बिजली तार को ऊपर नहीं कर पाया है।

मदन हाजरा

फोटो 14 एमडीबी 16

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जुलाई में आई बाढ़ के बाद से आज तक अंचलाधिकारी ने पशुपालकों को पशुचारा की व्यवस्था नहीं की। इस कारण पशुपालक पशु को बेचने को विवश हैं।

सतन विराजी

फोटो 14 एमडीबी 17

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बाढ़ से क्षतिग्रस्त बांधों की मरम्मत के नाम पर खानापूरी की गई है। यही हाल क्षतिग्रस्त सड़कों का भी है। सड़क निर्माण के साथ ही टूटने लगी है। बांध अब तक आवागमन के लायक नहीं हो सका है।

सियाराम ठाकुर

फोटो 14 एमडीबी 15


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