कोरोना के बीच चल रही रमजान की तैयारी
मधुबनी। कोरोना की दूसरी लहर के बीच रमजान की तैयारी चल रही है। 14 अप्रैल से इसके शुरू ह
मधुबनी। कोरोना की दूसरी लहर के बीच रमजान की तैयारी चल रही है। 14 अप्रैल से इसके शुरू होने की उम्मीद है। संक्रमण को देखते हुए मस्जिदों में सामूहिक, इफ्तार व सहरी का आयोजन नमाज पर पाबंदी लगा दी गई है। लिहाजा रमजान में रोजेदार घरों में ही नमाज अदा करने की तैयारी शुरू कर दी है। बरकतों व रहमतों वाले इस माह के लिए घरों की साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जा रहा है।
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मुसलमानों पर सबसे बड़ा इनाम रमजान का महीना :
शहर के मो. शाहजहां ने बताया कि कोरोना गाइडलाइंस के आलोक में विवाह के मौके पर लोगों के संख्या की उपस्थिति जैसी ही सुविधा नमाज अदा करने के लिए बहाल किया जाना चाहिए। अल्लाह की तरफ से मुसलमानों पर सबसे बड़ा इनाम रमजान का महीना है जो रहमत और मगफेरत वाला महीना है। इस महीने की फजीलत बेशुमार है, सबसे बड़ी फजीलत यह है कि इस महीने में कुरआन नाजिल किया गया और कुरआन से बढ़कर दोनों जहां में कोई दूसरी नेमत नहीं हो सकती। अल्लाह ने मुसलमान रोजेदारों के रूहानी व जिस्मानी फायदे के लिए इस महीने को मखसूस फरमाया है। जहां रोजेदारों को रोजा रखने से जिस्मानी फायदा होता है, वहीं रूह भी पाकीजा हो जाती है। पाबंदी व पवित्रता के साथ रोजे रखा जाना चाहिए :
मो. तमन्ना शेख ने कहा कि वैसे तो देश के नियम-कानून का पालन हरेक नागरिक को करना चाहिए। सामूहिक रूप से नमाज अदा करने पर रोक के दिशा में शासन-प्रशासन को गंभीरता से पहल करते हुए विचार करना चाहिए। रमजान में रोजा रख नमाज अदा करते हुए ज्यादा से ज्यादा कुरआन शरीफ का तेलावत करना चाहिए। रमजान में रोजेदार भूखे-प्यासे रहकर बुराइयों से बचकर खुदा की खुशमुदी प्राप्त करना चाहता है। रोजे की हालत में किसी की शिकवा-शिकायत से बचना चाहिए। रोजा अमीरों और गरीबों के बीच एक जेहती का रिश्ता कायम करता है। रोजेदारों को पाबंदी व पवित्रता के साथ रोजे रखा जाना चाहिए।