ईद को ले बाजार में सुबह में रहती काफी चहल-पहल
मधुबनी। लॉकडाउन में सुबह 11 बजे तक सशर्त बाजार खुलने की मिली छूट से रोजेदारों के लिए ई
मधुबनी। लॉकडाउन में सुबह 11 बजे तक सशर्त बाजार खुलने की मिली छूट से रोजेदारों के लिए ईद की खरीदारी आसान हो गई है। ईद को लेकर सुबह में बाजार में चहल-पहल देखी जा रही है। खरीदारी के दौरान शारीरिक दूरी का पालन किया जा रहा है। वहीं, इफ्तार में भी रोजेदारों की भीड नहीं होती है। सामूहिक नमाज व तरावीह से परहेज करते हुए रोजेदार घर में ही नमाज अदा कर रहे हैं। इधर, रमजान को लेकर बच्चों में काफी खुशी देखी जा रही है।
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खुशियां बांटने के मौकों की तलाश करनी चाहिए :
रोजेदार मो. जबीहुल्ला ने कहा कि रोजगारों को जरूरतमंदों की सेवा करना चाहिए। किसी को दुख पहुंचाने से परहेज करते हुए खुशियां बांटने के मौकों की तलाश करना चाहिए। रमजान रोजेदारों को नेक रास्ते पर चलने की सीख देता है।शरियते मोहम्मदी में रोजा में सुबह सादिक से सूरज डूबने के वक्त तक खाने-पीने या पेट, दिमाग में कोई गिजा या दवा दाखिल करने से खुद को रोकने का नाम रोजा है। रोजे में अल्लाह की इबादत की नीयत करना भी जरूरी है। भूख-प्यासा रहना अल्लाह तआला की इबादत और उसको राजी करने के लिए है। नीयत नमाज की हो या रोजे की वह दिल के इरादे का नाम है। जबान से कहना जरूरी नहीं, सिर्फ दिल से इरादा कर लें कि यह काम खुदा की इबादत और रजा के लिए कर रहा हूं। नमाज या रोजे की नीयत के जो अल्फाज व कलमात राइज है। सब हुजूर आपके सहाबा ताईबिन के जमाने के बाद राइज हुए हैं। सब मुस्तहब और अच्छे हैं। नमाज और हर किस्म की इबारतें व मरना-जीना सब अल्लाह के लिए है। जो काम अल्लाह की रजा के लिए किए जाए और उसकी इबादत के तौर पर किए जाए। रमजान इबादत के साथ जरूरतमंदों की फिक्र करना सिखाता है।