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कालाजार रोगी की खोज में घर-घर दस्तक देंगी आशा

मधुबनी। अगले छह दिनों तक जिले में कालाजार मरीजों की खोज का अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत आ

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 12:05 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 12:05 AM (IST)
कालाजार रोगी की खोज में घर-घर दस्तक देंगी आशा
कालाजार रोगी की खोज में घर-घर दस्तक देंगी आशा

मधुबनी। अगले छह दिनों तक जिले में कालाजार मरीजों की खोज का अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज करेंगी। इसके लिए आशा एवं आशा फैसिलिटेटर को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कालाजार रोगियों की खोज के लिए 115 आशा और 72 आशा फैसिलेटर को जिम्मेवारी दी गई है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एसएस झा ने बताया कि जिले के 78 गांव में यह अभियान चलाया जाएगा। जिले में एक लाख 48 हजार 650 जनसंख्या और 29 हजार 538 घरों को लक्षित किया गया है। डॉ. झा ने बताया कि हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार के किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने बताया जिले में लगातार छिड़काव के कारण कालाजार उन्मूलन के लिए सरकार के मानक को प्राप्त किया जा चुका है। मरीजों की संख्या शून्य करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।

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कालाजार मरीजों की संख्या :

जिले में वर्ष 2009 में 730, 2010 में 630, वर्ष 2011 में 538, वर्ष 2012 में 415, वर्ष 2013 में 321, वर्ष 2014 में 256, वर्ष 2015 में 187, मरीज 2016 में 108, मरीज, 2017 में 85 मरीज, 2018 में 50, 2019 में 31 और 2020 में 24 मरीज कालाजार के मरीज मिले हैं। कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में आर्थिक मदद भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं त्वचा से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

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कालाजार से सतर्क रहने की जरूरत :

कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लिशमानिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काटकर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है। केयर इंडिया के डीपीओ धीरज कुमार ने बताया कालाजार के लक्षणों में आम तौर पर दो हफ्ते तक बार-बार बुखार, वजन घटना, थकान, एनीमिया और लिवर व प्लीहा का सूजन शामिल हैं। समय रहते उपचार किया जाए, तो रोगी ठीक हो सकता है। कालाजार के इलाज के लिए दवा आसानी से उपलब्ध होती हैं। कालाजार के बाद पोस्ट कालाजार डरमल लेशमानियासिस (पीकेडीएल कालाजार के बाद होने वाला त्वचा संक्रमण) होने की भी संभावना होती है। इससे भी सतर्क रहने की जरूरत है।


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