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मिथिला के खान-पान की संस्कृति की पहचान बगिया

मधुबनी। मधुबनी सहित मिथिला के आहार में शामिल पूस माह के बगिया (पिट्ठा) के स्वाद का इंतजार म

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 11:36 PM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 11:36 PM (IST)
मिथिला के खान-पान की संस्कृति की पहचान बगिया
मिथिला के खान-पान की संस्कृति की पहचान बगिया

मधुबनी। मधुबनी सहित मिथिला के आहार में शामिल पूस माह के बगिया (पिट्ठा) के स्वाद का इंतजार महीनों से रहता है। यहां के लोग पूस महीने में बगिया का लुत्फ उठाने से नहीं चूकते है। ठंड के महीने में नए चावल के आटा से तैयार होने वाले बगिया में शामिल गुड़, तीसी शरीर के लिए काफी फायदेमंद और पौष्टिकता से भरपूर माना जाता है। यहां मुख्य रूप से तीन किस्म के बगिया बनाए जाते हैं। पहला तीसी गुड़ की बगिया, दूसरी आलू, दाल की और तीसरी दूध वाली बगिया। जिले के अधिकांश घरों में बगिया का लुत्फ उठाया जा रहा है। तरह-तरह की चटनी के साथ बगिया घर के सभी लोग बड़े चाव से खाते हैं। बच्चों को भी बगिया का इंतजार रहता है। बगिया बनने के दिन बच्चे काफी खुश होते हैं।

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बगिया बनाने की विधि :

मुख्य रूप से नए चावल को पीसकर उसे गरम पानी से गूंथ लिया जाता है। फिर उसकी गोली बनाकर उसमें नए गुड़ और तीसी पाउडर को मिलाकर भर दिया जाता है। बगिया चावल की तरह ही उबले हुए पानी में पकाया जाता है। पानी उबलते ही इसमें बगिया को डाल दिया जाता है। फिर कुछ समय के बाद बगिया पूरी तरह तैयार होने पर उसे बर्तन से निकाल कर रख लिया जाता है। हालांकि, कुछ लोग इसे ठंडे पानी में डालकर शीघ्र ही बाहर निकाल लेते हैं।

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पौष्टिक गुणों से भरपूर बगिया :

आमतौर पर तीसी, गुड़, आलू, दाल वाले नमकीन बगिया में स्वाद अनुसार मटर भी दिया शामिल किया जाता है। जबकि, मीठा बगिया दूध में उबाला जाता है। गर्म दूध में छोटी-छोटी बगिया को डाल कर पकाया जाता है। स्वाद अनुसार उसमे चीनी या गुड़ डाला जाता है।

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जागरण का बगिया दिवस आज :

मिथिला की संस्कृति में खान-पान के कई खुशियां देखने को मिलता है। विभिन्न त्योहारों पर मौसम के अनुसार खान-पान को तरजीह दी जाती है। ऐसे में ही शामिल बगिया की याद आते ही उसे खाने की चाहत बढने लगती है। दैनिक जागरण ने 31 दिसंबर को बगिया दिवस की शुरुआत की है। बगिया दिवस हर साल पूस माह के शुरू होते ही दूसरे दिन मनाया जाएगा।


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