Move to Jagran APP

कपड़ा क्रेता-विक्रेताओं के बीच नकद कारोबार का रिश्ता मजबूत

मधुबनी। जीने के लिए रोटी कपड़ा और मकान किसी भी व्यक्ति के लिए मायने रखता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 12:26 AM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 12:26 AM (IST)
कपड़ा क्रेता-विक्रेताओं के बीच नकद कारोबार का रिश्ता मजबूत
कपड़ा क्रेता-विक्रेताओं के बीच नकद कारोबार का रिश्ता मजबूत

मधुबनी। जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी व्यक्ति के लिए मायने रखता है। लॉकडाउन में सबसे अधिक रोटी की अहमियत सामने आई। मगर, नए कपड़े की कमी नहीं खली। हालांकि, लॉकडाउन अवधि में कपड़ा दुकान में पर ताला होने के बाद भी जन्म और मृत्यु पर जरूरत मुताबिक कपड़े जरूरतमंद लोगों तक उपलब्ध कराकर कपड़ा कारोबारियों ने ग्राहकों के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है। कोरोना काल में किसी के निधन पर बगैर राशि के भी कपड़ा देकर अपने ग्राहकों के साथ मुश्किल के समय में साथ खड़े रहकर नैतिक धर्म का निर्वहन किया है।

loksabha election banner

--------------

लॉकडाउन से टूट गई पूंजी, अनलॉक बनी संजीवनी :

लॉकडाउन की घोषणा होते ही जिले के कपड़े दुकानों पर ताला लटक गया। शहर और ग्रामीण के कपड़े प्रतिष्ठान से लेकर जिले के विभिन्न हिस्सों के हाट-बाजारों के फुटपाथ पर कपड़ों की बिक्री कर गुजर-बसर करने वालों के व्यापार पर ब्रेक लगने से इनकी पूंजी टूट गई। हजारों की संख्या में कपड़ा के ऐसे कारोबारियों के थोक व्यापारियों के उधार चुकता करने में अक्षम साबित होने लगे। बावजूद, छोटे दुकानदारों को उधार देने वाले कपड़े के थोक व्यापारियों इनसे अपना कारोबारी संबंध बहाल रखने की हरसंभव कोशिश की है। पूंजी का अभाव झेल रहे कपड़े के छोटे विक्रेताओं द्वारा कारोबार को पटरी पर लाने में कपड़े के बड़े व्यापारियों का सहयोग छोटे विक्रेताओं के लिए संजीवनी साबित हो रहा है।

-------------------

पूर्व के बकाए का सुविधा अनुसार भुगतान करने की सहूलियत :

लॉकडाउन कपड़ा व्यापार में बड़ा बदलाव ला दिया है। अनलॉक में गुजरात के सूरत सहित देश के विभिन्न हिस्सों के कपड़े कंपनियों से कपड़ों की आपूर्ति पहले की अपेक्षा कम हो रही है। इन कंपनियों में उत्पादन में कमी होने से उधार सिस्टम पर अभी ब्रेक लगा है। जिससे यहां के कपड़ा व्यापारियों को नकद में कपड़ों की खरीदारी से यहां के कपड़े व्यापारी भी कपड़े के छोटे-छोटे दुकानदारों पूर्व के बकाए का सुविधा अनुसार भुगतान करने की सहूलियत देते हुए नए कारोबार नकद में करने का सिस्टम विकसित कर दिया है।

-------------------

अनलॉक में दुकानों को खुलने के बाद उधार पर ब्रेक :

कपड़े के थोक व खुदरा विक्रेता शहर के भारत ट्रेडिग एजेंसी के संचालक गुरु शरण सर्राफ ने बताया कि किसी भी व्यापार में उधार की परंपरा व्यापारी को दिवालिया के मुकाम पर पहुंचाने का भी एक कारण माना जाता रहा है। लॉकडाउन में करीब तीन माह तक कपड़ा कारोबार पर ब्रेक लग गया। इससे जिले के अधिकांश कपड़ा दुकानों के कपड़े रखे रह गए। ये सामान उधार में नहीं बेचे गए। अनलॉक में कपड़ा दुकानों को खुलने के बाद उधार पर ब्रेक लग गया। अनलॉक बाद कारोबार में उधार बंद नकद की परंपरा विकसित हुई। नकद कारोबार की विकसित परंपरा से कारोबारियों को उधार डूबने की चिता से मुक्ति मिल रही है। लॉकडाउन से पहले दी गई उधार भी अब धीरे-धीरे वापस आ रहे हैं। इस तरह नकद व्यापार ने कारोबार से बाजार में बड़ा बदलाव ला दिया है।

---------------

हाईटेक हुआ कपड़ा कारोबार :

कोरोना काल में शहर के कपड़ा व्यापार हाईटेक होने लगा है। विविध डिजाइन और तरह-तरह की वैरायटी को लेकर यहां के आधा दर्जन कपड़ा प्रतिष्ठानों ने अपने ग्राहकों तक पहुंच बरकरार रखने के लिए सोशल मीडिया को आधार बनाया है। ये कपड़ा व्यापारी वाट्सएप के माध्यम से अपने खुदरा विक्रेताओं से संपर्क में रहते हैं। ऑनलाइन डिलीवरी की व्यवस्था भी अपनी जगह बना ली है।

-----------------

ऑनलाइन पेमेंट से बढ़ा नकद व्यापार :

कोरोना काल में ऑनलाइन खरीदारी के साथ ऑनलाइन पेमेंट की व्यवस्था विकसित हुई है। जिले के बडी संख्या में कपड़ा कारोबारी अब ग्राहकों से विविध माध्यम से ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा बहाल कर दी है। इससे ग्राहकों को भी भुगतान में आसानी हो रही है।

-----------------

दुर्गा पूजा के साथ कपड़ा कारोबार में आई तेजी :

40 लाख से अधिक आबादी वाले जिले में 200 से अधिक कपड़े के थोक विक्रेताओं से तकरीबन पांच हजार से अधिक कपड़े के छोटे व खुदरा दुकानदार जुड़े हुए हैं। एक अनुमान के अनुसार लॉकडाउन से पहले जिले में प्रतिदिन तकरीबन 20 लाख से अधिक रूपयों का कपड़ा कारोबार होता था। मगर, अनलॉक बाद नकद कारोबार का कारोबार विकसित होने से वर्तमान में प्रतिदिन कपड़ों का कारोबार करीब 15 लाख रुपये का हो रहा है। हालांकि, दुर्गा पूजा प्रारंभ होने के साथ कपड़ा कारोबार में तेजी आई है। आगे दीपावली व छठ पूजा के बाद मांगलिक कार्य का मौसम होने से कपड़ा कारोबार में तेजी बने रहने की उम्मीद है।

-------------------

'इसमें कोई शक नहीं कि लॉकडाउन में कपड़ा व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। कपड़ा व्यापारी ग्राहकों को अतिथि मानकर उनकी हरसंभव सेवा को तत्पर रहते हैं।लॉकडाउन में मानवता के आधार पर अपने ग्राहकों की सेवा में तत्पर रहे हैं। कपड़ा कारोबार में आ रहे बदलाव में ग्राहकों का सहयोग अपेक्षित है।''

- सोहन कुमार सर्राफ, अध्यक्ष वस्त्र व्यापार कल्याण संघ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.