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ई-कचरा की अनदेखी खतरनाक, पर्यावरण के लिए भी संकट

शहर में ई-कचरा का निस्तारण नहीं होने से कई प्रकार की बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। कचरा से वस्तुएं बटोरकर आमदनी करने वाले लोगों के लिए ई-कचरा खतरनाक बना रहता है। प्रावधानों की परवाह किए बगैर इसके खुलेआम जलाने से इसका धुआं पर्यावरण के साथ आम लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:25 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 11:25 PM (IST)
ई-कचरा की अनदेखी खतरनाक, पर्यावरण के लिए भी संकट
ई-कचरा की अनदेखी खतरनाक, पर्यावरण के लिए भी संकट

मधुबनी । शहर में ई-कचरा का निस्तारण नहीं होने से कई प्रकार की बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। कचरा से वस्तुएं बटोरकर आमदनी करने वाले लोगों के लिए ई-कचरा खतरनाक बना रहता है। प्रावधानों की परवाह किए बगैर इसके खुलेआम जलाने से इसका धुआं पर्यावरण के साथ आम लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। कचरा, ई-कचरा या फिर मेडिकल कचरा का उचित रखरखाव और निस्तारण की व्यवस्था यहां अबतक बहाल नहीं हो सकी है। शहर में कचरा निस्तारण की योजना लागू नहीं हो सकी है। ई-कचरा के बढ़ते प्रकोप पर रोक की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है।

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ई-कचरा के प्रकार में शामिल ये वस्तुएं :

ई-कचरा के प्रकार में शामिल प्रिटेड सर्किट बोर्ड, मदर बोर्ड, कैफोड ट्यूब, स्वीच फ्लैक स्क्रीन मॉनीटर, कम्प्यूटर बैट्री, केबल इंसूलेशन कोटिंग, प्लास्टिक हाउसिंग, मोबाइल टेलीफोन्स, पर्सनल कम्प्यूटर्स, कैमरा, टेलीवीजन, एलसीडी, रेफ्रीजरेटर, आइटी एसोसीरिज सहित अन्य वस्तु होते हैं। टीवी व पुराने कम्प्यूटर में लगी सीआरटी को रिसाइकलिग करना मुश्किल होता है। इस कचरे में लेड, मरक्यूरी, केडमियम जैसे घातक तत्व होते हैं।

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मेडिकल कचरा के निष्पादन में नियमों की अनदेखी :

मेडिकल कचरे में शामिल निडिल, टूटे दवाओं की शीशी सहित अन्य वस्तुएं जानलेवा साबित होता है। इसकी साफ-सफाई करने वालों के लिए भी नुकसानदेह होता है। विभिन्न हिस्सों में चल रहे निजी क्लीनिकों से निकलने वाले मेडिकल कचरा का निष्पादन में नियमों की अनदेखी हो रही है। अधिकांश क्लीनिक संचालकों द्वारा मेडिकल कचरा को निकट ही सार्वजनिक स्थलों पर खुले में फेंक दिया जाता है। कचरे में अपना भोजन तलाश रहे आवारा पशुओं व साफ-सफाई करने वाले कर्मियों के लिए भी जानलेवा साबित होता है।

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ई-कचरा के अवैज्ञानिक तरीके से निष्पादन से वायु प्रदूषण :

इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट को अवैज्ञानिक तरीके से निष्पादित किए जाने यानी कि खुले में जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण से मानव पर कई कुप्रभाव पड़ता है। कारर्सेनोजेन्स-डाईबेंजो पैरा डायोक्सिन (टीसीडीडी) एवं न्यूरोटॉक्सिन्स जैसी विषैले जैसे उत्पन्न होती है। इससे मानव शरीर में प्रजनन क्षमता, शारीरिक विकास एवं प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। हार्मोनल असंतुलन व कैंसर जैसे खतरे बढ़ जाते हैं।

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कबाड़खानों में देखा जा सकता ई-कचरे का ढेर :

शहर के कूड़ा-कचरा से निकालकर लाए गए ई-कचरा स्थानीय कबाड़खाना में बेच दिया जाता है। कबाड़खाना में बड़े पैमाने पर ई-कचरा का ढेर देखा जा सकता है। जानकारों के अनुसार ई-कचरा जलाने वाले बच्चों के परिवार के मुखिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। ई-कचरा का निस्तारण के संदर्भ में कई विधि बताए गए हैं। जिसमें सुरक्षित विधि से ई-कचरा को भूमि में जलाना, एसिड के द्वारा मैटल की रिकवरी आदि शामिल है।

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कचरा निस्तारण का प्रयास अधूरा :

शहर में नालों की सफाई कर कचरा को सड़क पर छोड़ देने से आम लोगों को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर के कई हिस्सों में सड़क पर कचरों का ढेर रहता है। नगर परिषद के मुख्य पार्षद सुनैना देवी ने बताया कि नगर परिषद क्षेत्र में कचरा निस्तारण के प्रावधान को लागू करने के दिशा में विभागीय स्तर पर प्रयास चल रहा है।

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''ई-कचरा में करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रासायनिक तत्व ई-कचरा के निस्तारण के प्रावधान की उपेक्षा से पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। तालाबों का जल दूषित होने से स्नान से चर्म रोग सहित अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है।''

- डॉ. उमेश श्रीवास्तव, दंत रोग विशेषज्ञ

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''ई-कचरा का भंडारण किया जाना कानून अपराध माना गया है। प्रतिबंध के बाद भी पॉलीथिन के प्रयोग से प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। ई-कचरा यत्र-तत्र फेंकने के अलावा धुआं उगलने वाले वाहनों से प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इस रोक जरूरी हो गया है।''

- मो. शाहजहां, पूर्व पार्षद


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