शहर का सफाई कार्य, यानी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी
मधुबनी। सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समान नगर परिषद क्षेत्र का सफाई कार्य है। किसी की परोक्ष या अपरोक्ष भूमिका मायने रखता है।
मधुबनी। सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समान नगर परिषद क्षेत्र का सफाई कार्य है। किसी की परोक्ष या अपरोक्ष भूमिका मायने रखता है। सफाई व्यवस्था को लेकर नगर परिषद के वार्ड पार्षद दो भाग में बांट कर अपनी-अपनी डफली बजा रहे हैं। वार्ड में सफाईकर्मियों की संख्या एक समान नही होने को लेकर हाल के दिनों में सफाई समिति की समीक्षा बैठक में पार्षदों ने सवाल उठाए थे। पार्षदों के दूसरे गुट शहर की सफाई पर होने वाले खर्च पर सवाल उठाते हुए इसके लिए नगर परिषद प्रशासन को कोस रहे हैं। शहर की सफाई कार्य देख रहे एक एनजीओ का एकरारनामा करीब दो माह पूर्व समाप्त होने के बाद से नगर परिषद के सिटी मैनेजर की देखरेख में चल रहे सफाई कार्य पर प्रतिमाह लाखों का व्यय हो रहा है। मजेदार बात तो यह है कि सफाई कार्य पर प्रतिमाह लाखों खर्च के अलावा नगर परिषद के तीन दर्जन से अधिक कर्मियों को लगे रहने के बाद भी शहर की सफाई कार्य संतोषजनक नही माना जा रहा है। सफाई का आलम है शहर में गंदगी का अंबार लगा रहता है। सफाई के नाम पर राशि की बंदरबाट के कारनामे से शहरवासी भी अवगत होने लगे हैं। शहर को स्वच्छ रखने में कमजोर साबित हो रहे नगर परिषद द्वारा संचालित योजनाओं में पारदर्शिता की अनदेखी से योजनाओं के लाभ से लोग वंचित हो रहे हैं। हर घर नल जल का कार्य अधूरा पड़ा है। मच्छरों के प्रकोप पर काबू के लिए फागिग मशीन का प्रयोग नहीं हो रहा है। फागिग मशीन के प्रयोग पर होने वाले खर्च की जांच की मांग उठने लगी है। नवनिर्मित रेन बसेरा को उद्धाटन का इंतजार है। नगर परिषद कार्यालय के समीप मार्केट के किराएदारों के चयन में अनियमितता की बात भी अपनी जगह है। खुली अलमारी, लाभुकों के बनेंगे घर, खुलेंगे कारनामे
नगर परिषद कार्यालय के एक कमरे में करीब नौ माह से बंद पड़े एक अलमीरे से फाइलें बाहर आ गईं। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना से जुड़ी इन फाइलों को खंगालने के साथ निष्पादन की प्रक्रिया में तेजी आने से लाभुकों के घर का सपना साकार होने की बाधा दूर होगी। मगर, करीब नौ माह तक अलमीरा बंद रहना एक पहेली बना रहा। अलमीरे की चाबी और उसके प्रभार की उलझन को सुलझने का समय आ गया है। अलमीरा खुली है तो उससे निकले फाइलों से जुड़ी कारनामें भी सामने आएंगे। इन फाइलों के निष्पादन से लाभुकों के चयन में अनियमितता के आरोप की जांच भी संभव हो पाएगी। नियमों को ताक पर रखकर आवास वितरण की अटकलों पर विराम लग जाएगा। आरोप लगते रहे हैं कि शहरी क्षेत्र के आवासविहीन लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू होते ही कई पार्षद इसके लाभुक बन गए। कई खुद के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर भी आवास का लाभ उठाने में शामिल हो गए। लाभुकों से आवास के एवज में राशि के आरोप की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। वैसे इस योजना में लाभुकों के नामों में हेराफेरी और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क सामने आ रहा है।
- नागरिक