अनलॉक में बढ़ी पार्लर की ब्यूटी, सैलून भी मुस्कुराया
मधुबनी। फैशन के युग में सजना-संवरना शारीरिक स्वच्छता के साथ रोजगार का सशक्त माध्यम बन चुका है।
मधुबनी। फैशन के युग में सजना-संवरना शारीरिक स्वच्छता के साथ रोजगार का सशक्त माध्यम बन चुका है। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों तक सजने-संवरने को लेकर ब्यूटी पार्लर और सैलून का संचालन रोजगार का बेहतर जरिया बनकर सामने आया है। मगर, कोरोना वायरस से यह क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा। लॉकडाउन के तीन महीने की अवधि में लग्न और चैती दुर्गा पूजा पर ब्यूटी पार्लर और सैलून से होने वाली आमदनी हाथ से फिसल गया। अनलॉक के बाद भय के माहौल में सैलून और ब्यूटी पार्लर खुलने लगे। मगर, यहां पहुंचने वालों की कमी इसके संचालकों को पूरी तरह राहत नहीं दे सका।
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घर पहुंचकर हजामत की पहल आगे बढ़ी :
अनलॉक में कोरोना गाइडलाइंस के तहत सैलून और ब्यूटी पार्लर के संचालन की छूट के बाद भी लोग हजामत के लिए सैलून जाने के बजाए नाई को घर पर ही बुलाने की परंपरा विकसित हुई। फुटपाथ या फिर छोटे-छोटे सैलूनों में हजामत कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले नाई समाज के समक्ष जीवन-यापन की समस्या खड़ी हो गई। हालांकि, सक्षम लोगों द्वारा इस समाज तक आवश्यक वस्तु उपलब्ध कराकर उन्हें विकट परिस्थिति में मददगार साबित हुए। इससे इनकी नजदीकियां नाई समाज को हजामत के लिए घर पहुंच कर हजामत का राह आसान कर दिया है। इस तरह लोगों के घर पहुंचकर हजामत की पहल आगे बढ़ी है।
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अनलॉक में मास्क में महिलाएं पहुंचने लगीं ब्यूटी पार्लर :
अनलॉक में बाजार आने-जाने की छूट और कोरोना संक्रमण में कंट्रोल को बल मिलने के साथ भय का माहौल कम होते ही मास्क लगाए महिलाएं ब्यूटी पार्लर पहुंचने लगीं। लॉकडाउन के तीन महीने की अवधि में ब्यूटी पार्लर बंद रहने से इसके संचालकों की आमदनी पर एकाएक ब्रेक लग गया। हालांकि, इस दौरान ब्यूटी पार्लर नहीं आने वाली महिलाओं को इस पर होने वाले खर्च की बचत हुई। इधर, पर्व-त्योहार और मांगलिक कार्यों का मौसम आने के ब्यूटी पार्लर की ब्यूटी बढ़ गई है।
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सजना-संवरना बना रोजगार का जरिया :
ब्यूटी और ग्लैमर ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपनी पैर जमाने के साथ महिलाओं की आमदनी बढ़ा रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के लिए ब्यूटी पार्लर रोजगार की गारंटी साबित हो रहा है। जिले में 300 से अधिक ब्यूटी पार्लर का संचालन कर महिलाएं स्वावलंबी की राह पकड़ चुकी हैं। पर्व-त्योहार और लग्न के मौसम में इससे जुड़ी महिलाओं की आमदनी कई गुणा बढ़ जाती है। दुल्हन को सजाने-संवारने के लिए ये महिलाए काफी व्यस्त होती हैं।
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'फुटपाथ पर हजामत करने वालों की स्थिति सबसे खराब होती है। इनकी आमदनी पर कई दिनों तक मौसम की मार उठानी पड़ती है। फुटपाथ पर हजामत का प्रचलन के बीच सैलून का संचालन और हाल के वर्षों में सैलून के प्रति रुझान युवाओं के लिए कैरियर बनकर सामने आया है। शहर में करीब एक दर्जन सैलून शहर की शोभा बढ़ाते हुए युवाओं को रोजगार मुहैया करा रहा है।'
- राजा ठाकुर, सैलून संचालक