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जिले में 383 सरकारी नलकूपों में 203 पूरी तरह ठप, किसानों को नहीं मिल रही सुविधा

मधुबनी । जिले में किसानों के लिए अनेक हितकारी सरकारी योजना तो चल रही हैं लेकिन सिचाई की माकूल व्यवस्था नहीं रहने के किसानों को इसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:45 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:45 PM (IST)
जिले में 383 सरकारी नलकूपों में 203 पूरी तरह ठप, किसानों को नहीं मिल रही सुविधा
जिले में 383 सरकारी नलकूपों में 203 पूरी तरह ठप, किसानों को नहीं मिल रही सुविधा

मधुबनी । जिले में किसानों के लिए अनेक हितकारी सरकारी योजना तो चल रही हैं, लेकिन सिचाई की माकूल व्यवस्था नहीं रहने के किसानों को इसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। समय पर वर्षा नहीं होने व उर्वरक सहित बीजों, कीटनाशी व अन्य सामानों की ऊंची कीमत रहने के कारण कृषि घाटे का सौदा साबित हो रहा है। जिले में कृषि कार्य के लिए विभिन्न योजनाओं से सरकारी नलकूप तो लगाए गए, लेकिन सरकारी व विभागीय उदासीनता के कारण एक के बाद एक नलकूप बंद होते चले गए। जिस कारण वर्तमान समय में पटवन की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है। आंकड़ों की मानें तो जिले में सरकारी नलकूपों की संख्या 383 है। जिसमें मात्र 180 के चालू होने का दावा विभाग कर रहा है। हालांकि, इन चालू नलकूपों में अधिकांश में नाला नहीं रहने के कारण पटवन लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो रहा है।

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वहीं, लघु सिचाई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विद्युत दोष से 27, संयुक्त दोष से 96, अन्य दोष से 80 नलकूप बंद पड़े हैं।

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नाबार्ड के तहत लगने हैं 100 नलकूप :

नाबार्ड के तहत 100 नलकूप लगाए जाने हैं। जिसमें मात्र 31 पर काम पूरा हो सका है। यही हाल उद्वह सिचाई योजना का है। इस योजना से जिले में 106 नलकूप में से मात्र 22 चालू हैं। जिले में नहर सिचाई प्रणाली के तहत पश्चिमी कोसी नहर, कमला नहर परियोजना के तहत बनी नहरें हैं। पश्चिमी कोसी नहर में समय से पानी नहीं आ रहा है। यदि आता भी है तो वितरणी व उपवितरणी नहीं रहने से खेतों तक पानी नहीं पहुंच रहा। सिचाई विभाग के अधिकारी कहते हैं कि विभाग में आवंटन का अभाव तो है ही, कर्मियों का भी घोर अभाव है।

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राज्य सरकार किसानों को दे रही आर्थिक मदद :

खेती के लिए किसानों को निजी नलकूप बनवाने में बिहार सरकार उनकी आर्थिक मदद करती है। लघु जल संसाधन विभाग नलकूप बनवाने वाले किसानों को 21 हजार रुपये तक आर्थिक मदद कर रही है। बिहार में अब सरकारी नलकूप का कॉन्सेप्ट खत्म हो चुका है। अब किसान अपना निजी नलकूप ही बनवाते हैं और उसी से खेतों को पानी देते हैं। फिलहाल राज्य सरकार नलकूप बनवाने के लिए शैलो नलकूप की बोरिग के लिए सौ रुपये प्रति फीट की दर से अधिकतम 15 हजार रुपये तक की आर्थिक मदद करती है। अब सरकार ने यह आर्थिक मदद 35 हजार रुपये कर दिया है। इसी तरह कम गहराई के नलकूप की बोरिग के लिए 182 रुपये प्रति फीट के हिसाब से अधिकतम 35 हजार रुपये आर्थिक मदद का प्रावधान है। इसके अलावा मोटर पंप के लिए भी सरकार 10 हजार रुपये की आर्थिक मदद दे रही है।

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नलकूप के लिए किसे मिल सकती मदद :

पहले निजी नलकूप के लिए आर्थिक मदद उन्हीं किसानों को मिलता था जिन्हें कम से कम एक एकड़ जमीन होती थी। इस वजह से इस योजना का लाभ बेहद कम किसानों को मिल पाता था। क्योंकि, बिहार में एक एकड़ से कम जमीन वाले किसानों की संख्या 82.9 प्रतिशत है। इसलिए राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि अगर किसान के पास 40 डीसमिल जमीन है तो भी वह नलकूप और बोरिग के लिए सरकार से आर्थिक मदद पा सकते हैं।

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ऑनलाइन करें आवेदन :

इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसान लघु जल संसाधन विभाग की वेबसाइट पर सभी जानकारी के साथ आवेदन करेंगे, जिसके बाद मामूली जांच के बाद नलकूप और बोरिग के लिए आर्थिक मदद पा सकेंगे। एक अनुमान के मुताबिक एक नलकूप से 250 हेक्टेयर में सिचाई होती है।

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