चुनाव आयोग की सख्ती से चुनाव प्रचार का स्वरूप बदला
मधेपुरा। चार दशक पूर्व तक चुनावी बिगुल बजते ही चुनावी शोर-गुल से पूरा क्षेत्र रंगीन हो जाता
मधेपुरा। चार दशक पूर्व तक चुनावी बिगुल बजते ही, चुनावी शोर-गुल से पूरा क्षेत्र रंगीन हो जाता था, लेकिन आज कोरोना काल में चुनाव का रंग ही बदल चुका है। इसका मुख्य कारण कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव कराया जाना माना जा रहा हैं। वहीं संचार क्रांति के युग में चुनाव आयोग की सख्ती भी चुनाव प्रचार का अंदाज बदल दिया हैं। एक जमाने में लाउडस्पीकर से प्रचार कर मतदाताओं को चुनाव आने की जानकारी दी जाती थी। वहीं गांव की गली से बाजारों की दिवालें पोस्टर से पटा रहता था। हालांकि बिहारीगंज विधानसभा चुनाव के लिए 22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में शामिल हैं। कई प्रत्याशी जनसंपर्क के माध्यम से प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया है। दुर्गा पूजा को लेकर प्रचार की गति में पूरी तरह नहीं पकड़ रहीं हैं। पूर्व के समय में भले ही बच्चों का चुनाव में किसी प्रकार योगदान नहीं रहता था। लेकिन उन्हें एक अलग तरह की खुशी होती थी। चुनाव चिन्ह किसी भी दल का हों, उन्हें इससे कुछ लेना- देना नहीं होता था। लेकिन जब भी प्रचार वाहन आता बच्चे पीछे दौड़ लगाने लगते थे। लेकिन अब चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से बैनर- पोस्टर, झंडा तो गुम ही हो चुका है। प्रचार भी निर्धारित समय तक ही करने का प्रावधान रहता है।