वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श प्रस्तुत करता है भारतीय राष्ट्रवाद : डा. रामजी सिंह
संवाद सूत्र सिंहेश्वर (मधेपुरा) बीएन मंडल विवि के तत्वावधान में टीपी कालेज में मंगलवार को
संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा) : बीएन मंडल विवि के तत्वावधान में टीपी कालेज में मंगलवार को राष्ट्रवाद : कल, आज और कल विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। इसमें देश-विदेश से काफी संख्या में विद्वान, शोधार्थी व प्रतिभागी शिरकत कर रहे हैं।
कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता पूर्व सांसद व पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रोफेसर डा. रामजी सिंह ने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श प्रस्तुत करता है। हमने कभी भी किसी दूसरे राष्ट्र को विजय करने का नहीं सोचा। हमारा राष्ट्र सबसे अच्छा कहना, यह अहंकार की भावना है। हमारा अपने राष्ट्र से प्रेम करें, लेकिन हमेशा दूसरे राष्ट्र की अवमानना नहीं करें। उन्होंने कहा कि विकास व शांति के लिए सभी नागरिकों के बीच प्रेम व भाईचारा का होना जरूरी है। देश के नागरिक अलग-अलग गुटों में बंटे रहेंगे, तो देश की अखंडता प्रभावित होगी और अलग-अलग राष्ट्रों के बीच वैमनस्य रहेगा, तो विश्वशांति कायम नहीं हो सकेगी। अत: आज दुनिया में विश्व सरकार कायम करने की जरूरत है। इससे पहले अतिथियों का स्वागत पूर्व कुलपति प्रोफेसर डा. ज्ञानंजय द्विवेदी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य डा केपी यादव ने की। संचालन जनसंपर्क पदाधिकारी डा. सुधांशु शेखर ने किया। इस अवसर पर डा. गोविद शरण (नेपाल), प्रो. राजकुमारी सिन्हा (रांची), जयती कपूर (मुंबई), प्रो. विजय कुमार (भागलपुर), राजीव सिंह (भोपाल), शोभाकांत कुमार डा. अमोल राय, डा. एमआइ रहमान, डा. जवाहर पासवान, एनसीसी आफिसर लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार, डा. शंकर कुमार मिश्र, डा. राजकुमार रजक, डा. प्रियंका सिंह, रंजन यादव, सारंग तनय, किशोर कुमार, राहुल यादव, अमरेश कुमार अमर, माधव कुमार, दिलीप कुमार दिल, डा. प्रत्यक्षा राज, सौरभ कुमार चौहान, गौरब कुमार सिंह, रौशन कुमार सिंह, डा. स्वीटी कुमारी, श्रेया सुमन, शेखर सुमन आदि उपस्थित थे।
मात्र भौगोलिक इकाई नहीं है राष्ट्र : डा. रमेशचंद्र सिन्हा मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. रमेशचंद्र सिन्हा ने कहा कि राष्ट्र मात्र भौगोलिक इकाई नहीं है। राष्ट्र संस्कृति मूल्यों का पूंज है। राष्ट्र की अवधारणा कुछ खास व्यक्ति या समूह तक सीमित नहीं है। इसमें सभी नागरिकों का समावेश है। राष्ट्र सभी धर्म, जाति, क्षेत्रों का सम्मलित रूप है।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में राष्ट्र की अस्मिता पर ध्यान दिया गया है और यह नए भारत के निर्माण का एक माडल प्रस्तुत करता है। हमें नए भारत का निर्माण करने के लिए वंचितों व सीमांतकों को ऊपर उठाना होगा।
पश्चिम से भिन्न है भारतीय राष्ट्रवाद
विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय दर्शन परिषद के अध्यक्ष प्रो. डा. जटाशंकर ने कहा कि यूरोप तथा अन्य पश्चिमी राष्ट्रों की जो अवधारणा है, उससे भारतीय राष्ट्रवाद अलग रही है। यूरोपियन राष्ट्रवाद की अवधारणा संकीर्ण है। यह एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र से बिल्कुल पृथक करती है और राष्ट्र व राष्ट्र के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देती है। इसके विपरीत भारतीय राष्ट्रवाद संपूर्ण चराचर जगत के कल्याण की कामना करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद की अवधारणा सर्वसमावेशी रही है। हमारा आदर्श सर्वे भवन्तु सुखिन: है। यहां सर्वे में केवल भारत के लोग नहीं सम्मिलित है, बल्कि संपूर्ण विश्व समाहित है। इसमें मनुष्य के साथ-साथ संपूर्ण चराचर जगत, समस्त ब्रह्मांड सम्मिलित हो जाता है।
राष्ट्रवाद एक सांस्कृतिक इकाई
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर डा. आरकेपी रमण ने कहा कि भारत मात्र एक भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक इकाई भी है। यह हमारी मां है। हम मां के रूप में भारत की पूजा-अर्चना व वंदना करते हैं। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है। राष्ट्र का गौरवगान सर्वोत्तम भजन, राष्ट्रहित-साधन सर्वश्रेष्ठ तप और राष्ट्र के लिए नि:स्वार्थ निष्ठा पवित्रतम यज्ञ माना गया है।
उन्होंने कहा कि हमारा भारत सदियों से एक सांस्कृतिक राष्ट्र है। हमारे पूर्वजों ने हमारे अंदर राष्ट्रवाद की जो अमर ज्योति जलाई है, उसकी दूसरी कोई मिसाल नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया को बचाने के लिए आगे आना होगा। व्यक्ति को परिवार के हित में, परिवार को समाज के हित में, समाज को राष्ट्र के हित में और राष्ट्र को विश्व के हित में कार्य करना होगा। यदि ऐसा नहीं हो सका, तो मानवता नहीं बचेगी। हम स्वार्थ से ऊपर उठने का प्रयास करें और अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाए- मातृभूमि के प्रति अपना फर्ज निभाए।
राष्ट्रवाद है उदात्त भावना
हिदी विभाग की अध्यक्ष डा. वीणा कुमारी ने कहा कि उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद एक उदात्त भावना है। इसके कारण देश के नागरिकों उनके धर्म, भाषा, जाति इत्यादि सभी संकीर्ण मनोवृत्तियों को पीछे छोड़कर एक साथ खड़े होते हैं। इसकी वजह से ही देश के सैनिक व नागरिक अपने देश के लिए अपनी जान देने से पीछे नहीं हटते।
सेमिनार में पुस्तक का हुआ लोकार्पण इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत में एनसीसी कैडेट्स व दार्जिलिग पब्लिक स्कूल, मधेपुरा के बैंड ने अतिथियों की अगुवानी की। संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। अतिथियों का अंगवस्त्र व पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। वैदिक मंत्रोच्चार व दीप प्रज्जवलन के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत हुई। कार्यक्रम के दौरान संगीत शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल द्वारा विशेष तौर पर देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति किया। इस अवसर पर अधिनीतिशास्त्र : एक सामान्य परिचय पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ।