नई शिक्षा नीति से भारत फिर से बनेगा विश्व गुरु: डॉ. चौहान
मधेपुरा। बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला के तहत शुक्रवार को नई शिक्षा नीति भारत के विकास की अप
मधेपुरा। बीएनएमयू संवाद व्याख्यानमाला के तहत शुक्रवार को नई शिक्षा नीति भारत के विकास की अपार संभावनाएं विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जसपाली चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 काफी सराहनीय है। यह नीति भारतीय परंपरा की महान विरासत से युक्त है। यह एक लंबे अंतराल के बाद देश की मिट्टी से जुड़कर देशवासियों तक पहुंची है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति राष्ट्र के निर्माण एवं उत्थान का प्रभावी माध्यम होती है। राष्ट्र की जरूरतों के हिसाब से इसमें समय-समय पर बदलाव की भी अपेक्षा रहती है। नई शिक्षा नीति से भारत फिर से विश्व गुरु बनने की संभावना है। इसे भारत के वर्तमान एवं भविष्य की जरूरतों के हिसाब से नए सिरे से गढ़ा गया है। उन्होंने कहा कि इसमें स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक तमाम दीक्षित संशोधन कर दिए गए हैं। अब भारत की यह नीति शिक्षा के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर समन्वय स्थापित करने में सक्षम रहेगी।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के नवयुवकों की आशाओं, आकांक्षाओं एवं चुनौतियों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली व्यक्ति एवं समाज के नैतिक, आध्यात्मिक, बौद्धिक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करती है। प्राचीन काल में शिक्षा की परिभाषा का अनुसरण करके भारत ने विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त किया था। इसमें भारत की विरासत, इतिहास, प्राचीन ज्ञान- विज्ञान, भाषा, समाज- संस्कृति एवं दर्शन को शामिल करने का प्रयास किया गया है। यह भारत के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।