माह-ए-रमजान में खोल दिए जाते है जन्नत के सभी दरवाजे
मधेपुरा। वैश्विक महामारी के जारी लॉकडाउन के बीच माह-ए- रमजान में प्रखंड क्षेत्र के मुस्लिम
मधेपुरा। वैश्विक महामारी के जारी लॉकडाउन के बीच माह-ए- रमजान में प्रखंड क्षेत्र के मुस्लिम अकीदतमंद पवित्रता के साथ रोजा रख रहे हैं। कोरोना महामारी को लेकर जारी लॉकडाउन के बीच रोजेदार अपने-अपने घरों में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए इफ्तार में शरीक होते देखे जा रहे हैं। बरकत एवं रहमत वाले इस माह में घरों तथा आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। फरीदिया मोहब्बत्तिया अलीजान शाह चंदा मदरसा के मोदर्रिस सह जामा मस्जिद चंदा के इमाम मौलाना इरफान अहमद ने माह-ए-रमजान के मौके पर लॉकडाउन में रोजेदारों से अपने घरों में नमाज अदा करने के अलावे इफ्तार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि माह-ए-रमजान का महीना मुसलमानों के लिए सबसे बड़ा उपहार है। इसी माह में कुरआन नाजिल किया गया। कुरान से बढ़कर दुनिया में कोई दूसरी नेमत नहीं है। माह-ए-रमजान में अल्लाह को राजी करने से आखेरत में निजात हासिल होती है। रोजेदार को घरों में समय से नमाज अदा करते हुए ज्यादा से ज्यादा कुरआन शरीफ का तेलावत कर बुराइयों से बचकर खुदा की खुशमुदी करना चाहिए। माह-ए-रमजान में अल्लाह ताला जन्नत के दरवाजे खोल देता है। मुख्यालय स्थित जामा मस्जिद के इमाम मु. रईश ने कहा कि मुस्लिम अकीदतमंद महामारी, युद्ध एवं मानव संकट के समय घर में नमाज अदा कर सकते हैं। साथ ही अगर उनको किसी तरह से जान का खतरा है तो भी वह घर में नमाज अदा कर सकते हैं। हदीस में कहा गया है कि नुकसान या पारस्परिक नुकसान का आप कारण न बनें। जो कोई दूसरों को हानि पहुंचाता है। अल्लाह उसे नुकसान पहुंचाएगा। जो कोई दूसरों के साथ कठोर है, अल्लाह उसके साथ कठोर होगा। इसलिए हदीस की मानते हुए कोरोना से खुद का बचाव कर दूसरों को बचाने के लिए आगे आना चाहिए। कोरोना के चलते बिगड़ते हालात में शिद्दत इख्तियार करने की जरुरत है। लिहाजा इस विकराल परिस्थिति में हमें रमजान के महीने में भी नमाज घरों में रहकर ही अदा करनी चाहिए।