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मुरलीगंज के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में दर्शन क लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

मधेपुरा। मुरलीगंज प्रखंड ही नहीं दूसरे जिले के लोग भी मन्नते मांगने के लिए मां भगवती के दरबा

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 11:59 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:05 AM (IST)
मुरलीगंज के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में दर्शन क लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
मुरलीगंज के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में दर्शन क लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

मधेपुरा। मुरलीगंज प्रखंड ही नहीं दूसरे जिले के लोग भी मन्नते मांगने के लिए मां भगवती के दरबार पहुंचते हैं। लोगों में मुरलीगंज सार्वजनिक दुर्गा मां के प्रति काफी आस्था स्थापित है। इस कारण नवरात्र तो दूर आम दिनों में भी प्रत्येक दिन श्रद्धालु पूजा करने मां के मंदिर पहुंचते हैं। मुरलीगंज शहर के हृदय स्थली सार्वजनिक दुर्गा मंदिर है। बताया गया कि सन 1888 में मां भगवती की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुरलीगंज के पहवान कुमारखंड प्रखंड के रहटा दुर्गा पूजा में के अवसर पर दंगल में भाग लेने पहुंचे थे। वहां अखाड़े में हीं रहटा के पहवान और ग्रामीण इन लोगों के साथ मारपीट किया था। इसके बाद मुरलीगंज पहुंच कर पहलवानों ने अपनी व्यथा यहां के ग्रामीणों को बताया। जिस पर आक्रोशित ग्रामीणों ने एकजुट होकर रात में ही रहटा पहुंच गए। जब तक वहां के लोगों को भनक लगती ये लोग सभी मूर्तियों को उठाकर मुरलीगंज ले आए और नौवीं पूजा होने के कारण रात में ही कलश स्थापित कर पूजा अर्चना शुरू की गई। रात में कलश स्थापित करने का परंपरा आज भी कायम है। वर्ष 1987 में सार्वजनिक सहयोग से मां के लिए मंदिर निर्माण कराई गई। पूजा समिति के सदस्य ने बताया कि नाट्य शाला के उपर मां मानव सेवा भवन का निर्माण भी कराया गया है। आदिशक्ति मां दुर्गा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है।

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