चूल्हे के धुआं से खो रही 'रोशनी'
मधेपुरा : चूल्हे के धुआं से यहां की महिलाएं अपनी आंखों की रोशनी खो हो रही है। इसका खुलासा सकेंड स
मधेपुरा : चूल्हे के धुआं से यहां की महिलाएं अपनी आंखों की रोशनी खो हो रही है। इसका खुलासा सकेंड साइट नामक संस्था के सर्वे में हुआ है। यूनाइटेड ¨कगडम की यह संस्था नेत्र संबंधी समस्या पर काम कर रही है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में जाकर आंखों का इलाज से लेकर ऑपरेशन तक करती है। मधेपुरा में किए गए सर्वे में करीब 84 हजार लोगों के आंखों में शिकायत मिली है। जांच के दौरान सामने आया कि आंखें खराब होने का कारण सबसे अधिक धुआं ही है। चिकित्सक भी इस बात को स्वीकार रहे हैं। उनका कहना है कि धुआं से आंखों का आंसू सूख जाता है। इससे कई प्रकार की बीमारी होती है। दरअसल मधेपुरा के करीब ढाई लाख लोग खाना चूल्हे पर तैयार करते हैं। फलाफल आंख की बीमारी महिलाओं में अधिक हो रही है। ------------------------------- ढाई लाख परिवार कर रहे चूल्हे का उपयोग जिले में पारंपरिक चूल्हे का उपयोग ढाई लाख से अधिक लोग कर रहे हैं। ये लोग लकड़ी, पत्ते व उपले आदि से खाना बनाते हैं। इसमें धुआं अधिक होता है। रोजाना धुआं से आंखों के आंसू सूखने लगते हैं। इससे कई प्रकार की बीमारी होती है। चिकित्सकों का कहना है उन्नत किस्म के चूल्हे के उपयोग से बीमारी कम होगी। ------------------------------ दियारा क्षेत्र में हो रही अधिक परेशानी मधेपुरा के चार प्रखंड चौसा, पुरैनी, आलमनगर व उदाकिशुनगंज में गरीबी काफी अधिक है। यहां के लोग पत्ता आदि चुनकर खाना तैयार करते हैं। पिछले दिनों कुमारखंड, आलमनगर व चौसा में आयोजित स्वास्थ्य शिविर के दौरान नेत्र जांच में काफी लोग बीमारी से ग्रसित मिले। जांच के दौरान पता चला कि धुआं से आंखों पर असर डाल रहा है। ------------------------------- लगातार धुआं में रहने से आंखों की बीमारी बढ़ती है। जिले के काफी संख्या में लोग चूल्हे का उपयोग करते हैं। इसके धुएं से आंखों की समस्याएं बढ़ रही है। यह बात सकेंड साईट नामक संस्था के सर्वे में भी सामने आया है। डॉ.अमित आनंद चिकित्सक आनंद आंख अस्पताल, मधेपुरा