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खुद पर करें भरोसा, होंगे कामयाब

मधेपुरा। बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक लाना सभी छात्रों का सपना होता है। यह परीक्षा एकेडमिक पढ़ाई की

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 06:08 PM (IST)Updated: Mon, 07 May 2018 06:08 PM (IST)
खुद पर करें भरोसा, होंगे कामयाब
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मधेपुरा। बोर्ड परीक्षाओं में अच्छे अंक लाना सभी छात्रों का सपना होता है। यह परीक्षा एकेडमिक पढ़ाई की नींव के समान होती है। अधिक अंक मिलने से छात्रों का मनोबल और उत्साह बढ़ता है, लेकिन बोर्ड परीक्षाओं में कम अंक लाने वाले छात्रों को कभी अपने-अपने आपको असफल नहीं मानना चाहिए। कम अंक लाने वाले छात्र भी ऊंचे-ऊंचे मुकाम को छू रहे हैं। एक ऐसा ही उदाहरण हैं मधेपुरा जिले के नाढ़ी मुरहो के मनीष कुमार। मनीष सामान्य परिवार से ताल्लुकात रखते हैं। उनका प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव में ही हुआ। मनीष बताते हैं कि बोर्ड परीक्षा में उन्हें बहुत कम अंक आये थे, लेकिन उन्होंने कभी अपने को चुका हुआ नहीं माना और वर्तमान में दो-दो कंपनी के सीईओ हैं। बोर्ड परीक्षा में उम्मीद से कम अंक आने पर आगे कुछ करने की उम्मीदें थोड़ी कम हो गई थी। मनीष बताते हैं कि तभी उनके मामा डॉ. बिजेंद्र कुमार ने उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि सिर्फ दो इम्तिहान में कम अंक आने से सब खत्म नहीं होता। दिल्ली जाओ! बड़े शहर, बड़ी सोच होगी। इसके बाद वे दिल्ली गए। आगे मनीष बताते हैं कि दिल्ली में उनके लिए सब कुछ नया था। ग्राफिक्स और कम्प्यूटर में रूचि रहने के वजह से स्नातक के साथ-साथ इसकी भी क्लास करनी शुरू कर दी और कुछ दिनों के बाद बतौर डिजाइनर एक कंपनी में काम करने लगा। कंपनी में काम करते हुए उनके मन में इच्छा जगी कि क्यों न खुद की कंपनी बनाई जाए। इसके बाद वे मन ही मन अपनी कंपनी बनाने को लेकर प्ला¨नग शुरू कर दी। दो-तीन महीने काम करने के बाद कंपनी में काम करना छोड़ दिया और इसके बाद खुद की कंपनी को स्थापित किया। आज वे दो कंपनी प्रिजाको इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ग्राफोनेट एडवरटाइ¨जग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हैं। उन्होंने बताया कि उनके कंपनी में वर्तमान में 45 लोग काम कर रहे हैं। जबकि वे खुद कम मा‌र्क्स मिलने के वजह से शुरू में नौकरी को लेकर परेशान रहते थे। उनका मानना है कि परीक्षा में कम अंक और प्रतिभा बिल्कुल वैसी ही लगती है जैसे अच्छी सूरत और सीरत। मनीष अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि बच्चों का जिस क्षेत्र में अभिरुचि हो। उसे उसी क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। माता-पिता को अपनी इच्छा बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए। किसी एक विषय या परीक्षा में औसत या उम्मीद से कम प्रदर्शन के आधार पर आप उसके जीवन का फैसला ना करें।

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