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बिहारीगंज में बस स्टैंड नहीं रहने से सड़क किनारे लगाई जाती है सवारी वाहन

संवाद सूत्र बिहारीगंज (मधेपुरा) बिहारीगंज को 27 वर्ष पूर्व प्रखंड का दर्जा मिलने के बावजूद अप

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 04:54 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 04:54 PM (IST)
बिहारीगंज में बस स्टैंड नहीं रहने से सड़क किनारे लगाई जाती है सवारी वाहन
बिहारीगंज में बस स्टैंड नहीं रहने से सड़क किनारे लगाई जाती है सवारी वाहन

संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा) : बिहारीगंज को 27 वर्ष पूर्व प्रखंड का दर्जा मिलने के बावजूद अपना बस स्टैंड नसीब नहीं हो सका है। इस कारण बस से लेकर सभी तरह के वाहनों को सड़क के किनारे खड़ी कर पब्लिक को चढ़ाया जाता है। इस वजह से बाजार में प्राय: जाम की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है। खासकर किसी पर्व- त्योहार में लोगों के लिए जाम मुसीबत बन जाती है। जबकि बिहारीगंज को नगर पंचायत का दर्जा मिल चुका है। समस्याओं के प्रति स्थानीय प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली उदासीन नजर आ रही है। यद्यपि बस स्टैंड बनाने की मांगें भी समय- समय पर उठती रही है। प्रशासन द्वारा आश्वासन भी दिया जाता हैं। लेकिन समय बीतने के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ जाता है। यही वजह है कि बाजार के कई स्थलों पर सड़क के किनारे छोटे-बड़े वाहन लगाए जाते हैं। बताते चलें कि बीते 22 जनवरी 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कोसी प्रोजेक्ट के भवन में प्रखंड कार्यालय का उद्घाटन आनन- फानन में कर दिया था। इसके बाद से बाजार में लोगों की आवाजाही बढ़ने लगी। वहीं सड़कों पर छोटे- बड़े वाहनों का दवाब बढ़ने लगा। बिहारीगंज- बनमंखी रेलखंड पर आमान परिवर्तन कार्य को लेकर रेलसेवा बंद होने के कारण सवारी वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। बिहारीगंज से पुर्णिया के लिए दर्जनों बस खुलने लगे। वहीं सहरसा, मधेपुरा, भागलपुर, जोगबनी, पटना, दिल्ली, पंजाब व कई बड़े शहरों के लिए बसें खुलने लगी। जबकि मुरलीगंज स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जीप व आटो का संचालन होने लगा। इस स्थिति में बस स्टैंड के नहीं होने से यात्रियों को सड़क के किनारे हीं उतरना मजबूरी बनी हुई है। जबकि सवारी वाहन चालकों से दबंग किस्म के लोगों अलग-अलग हिस्से में कब्जा जमाकर राजस्व की वसूली करते हैं। जबकि सरकारी स्तर पर राजस्व की वसूली नहीं होती है। इस स्थिति में दबंगों के बीच आपसी विवाद होते रहता है। जिसे स्थानीय प्रशासन की पहल पर सुलझा लिया जाता है। आश्चर्य की बातें यह है कि स्थानीय प्रशासन सभी बातों को जानते हुए भी किसी तरह की ठोस कार्रवाई करने से परहेज बरतते हैं। इस संबंध में सीओ नागेश कुमार मेहता का कहना है कि पूर्व में बस स्टैंड बनाने के लिए मार्केटिग यार्ड की भूमि का प्रस्ताव भेजा गया था। विभागीय अड़चन की वजह से प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इधर बिहारीगंज को नगर पंचायत का दर्जा मिल गया है। नगर पंचायत से ही समस्या का निदान हो जाएगा।

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