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विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल का अभाव, शौचालय बदतर

मधेपुरा। प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चे जहां स्वच्छ पेयजल के नाम पर लौह यु

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 05:51 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 05:51 PM (IST)
विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल का अभाव, शौचालय बदतर
विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल का अभाव, शौचालय बदतर

मधेपुरा। प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चे जहां स्वच्छ पेयजल के नाम पर लौह युक्त पानी पीने को विवश हैं। वहीं देखरेख के अभाव में शौचालय की स्थिति भी खराब है। इसका खुलासा प्रखंड क्षेत्र के विद्यालयों की जांच के दौरान हुई है। मालूम हो कि पंचायती राज विभाग ने प्रखंड क्षेत्र में प्रतिनियुक्त कनीय अभियंता को पत्र प्रेषित कर अपने अधीनस्थ प्रखंड क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में शौचालय एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की स्थिति का स्थलीय जांच करने का निर्देश दिया है। निर्देश के आलोक में कनीय अभियंता मनरेगा जय कुमार सिंह विभिन्न विद्यालयों का भ्रमण कर शौचालय एवं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की स्थिति का स्थलीय जांच करने में जुटे हैं। उन्होंने राजकीय मध्य विद्यालय पुरैनी, बासुदेवपुर, औराय, सपरदह, कड़ामा, उमवि पुरैनी, बथनाहा, डुमरैल, वंशगोपाल, कहरटोली, फूलपुर, ओरलाहा, कुरसंडी, तिरासी, नवसृजित प्रावि पासवान टोला, ढीबू वासा, शर्मा टोला बथनाहा, मद्दतपुर वासा, दीना टोल सहित दर्जनों अन्य विद्यालयों का निरीक्षण किया। कनीय अभियंता ने बताया कि सभी विद्यालयों में शौचालय तो उपलब्ध है लेकिन निगरानी एवं साफ-सफाई के अभाव में उसकी स्थिति नारकीय बनी हुई है। शौचालय की देखरेख एवं साफ-सफाई के प्रति विद्यालय के प्रधानाध्यापक जरा भी गंभीर नहीं है। दर्जनों प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय में निर्मित शौचालय की दुर्दशा के लिए ग्रामीण भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। वहीं स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की स्थिति पर उन्होंने बताया कि सभी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ चापाकल की ही व्यवस्था है। जबकि अधिकांश चापाकल में से निकलने वाले लौह युक्त पानी ही बच्चे पीने को विवश हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्षों पूर्व पीएचइडी विभाग द्वारा प्रखंड क्षेत्र के लगभग डेढ़ दर्जन विद्यालयों में बच्चों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने के उद्देश्य से लाखों की राशि से लौह आयरन रिमूवल प्लांट के अलावा बेसिन आदि भी लगाया गया था। लेकिन रखरखाव के अभाव में सभी विद्यालयों में वह क्षतिग्रस्त होकर शोभा की वस्तु बन गई है।

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