बच्चे व बुजुर्ग ठंड में रखे अपना विशेष ख्याल
मधेपुरा। मकर संक्रांति के अगले दिन से मौसम ने अचानक करवट ले लिया है। तापमान में आई गिराव
मधेपुरा। मकर संक्रांति के अगले दिन से मौसम ने अचानक करवट ले लिया है। तापमान में आई गिरावट व पछिया हवा से लोग घरों में बंद हो गए हैं। बाजार सुना-सुना से हो गया है। जरूरत पड़ने पर ही लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं। सर्दी के मौसम ने बड़े बुजुर्गों व बच्चों की परेशानी बढ़ा दी है। बच्चे जहां कोल्ड डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। वहीं हाई बीपी व हृदय रोग से ग्रसित बूढ़े बुजुर्गों की परेशानी भी बढ़ गई है। अत्यधिक ठंड में रक्त की धमनियों के सिकुड़ने के कारण ब्लड का दबाव काफी बढ़ जाता है। खासकर हाथ व पैर की धमनियां सिकुड़ जाती हैं। इससे हार्ट पर अतिरिक्त दबाव बन जाता है। ऐसे में हृदय रोग से संबंधित मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। वहीं हाई बीपी वाले मरीज भी ठंड के दौरान हाई रिस्क में आते हैं। ठंड में ऐसे मरीज को समय समय पर बीपी चेक कराते रहना चाहिए। संभव है कि ठंड में चिकित्सक को दवा बदलनी पड़े। इसीलिए दवाई खाते रहने के बावजूद अगर बीपी बढ़ी रहे तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
हार्ट मरीज रखे अपना विशेष ख्याल सर्दी का मौसम खासकर शीतलहर और जबरदस्त ठंड वाला मौसम हार्ट के मरीजों के लिए खतरे की चेतावनी लेकर आता है। विशेषज्ञों की मानें तो सर्दियों में रक्तवाहिनियां सिकुड़ जाती है। इसका सीधा असर दिल तक खून पहुंचाने वाली धमनियों पर पड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अत्यधिक ठंड के समय ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाया करती है। ऐसे में हार्ट के मरीजों को हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है। इसीलिये हृदय रोग से संबंधित मरीज को इस दौरान अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए।
हाई बीपी के मरीज को ब्रेन हेमरेज का रहता है खतरा बीपी के मरीज को ठंड के मौसम में विशेष सतर्कता बरतने की सलाह चिकित्सक देते है। अत्यधिक ठंढ में अचानक से बीपी काफी बढ़ जाने से ब्रेन हेमरेज तक का खतरा बना रहता है। लोग पहले से चल रही दवाइयों को खाते रहते है, जबकि ठंड में आवश्यकतानुसार दवाई की डोज बढ़ानी पड़ती है। इसीलिए ठंड के मौसम में बीपी के मरीजों को एक बार जरूर चिकित्सक के पास जाना चाहिए। साथ ही हमेशा बीपी जांच करते रहना चाहिए। अचानक से बीपी काफी बढ़ जाने से स्ट्रोक का खतरा रहता है।
बच्चों का रखें विशेष ख्याल ठंड में।बच्चों की परेशानी भी बढ़ जाती है। खासकर नवजात शिशु का विशेष ख्याल रखना चाहिए। बच्चों को गर्म कमरे में गर्म कपड़े में ढककर रखना चाहिए। इस समय बच्चों में कोल्ड डायरिया की समस्या काफी आती है। कोल्ड डायरिया होने पर बच्चों तत्काल चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। इसके अलावा बच्चों में सर्दी, कफ, निमोनिया आदि की समस्या हो जाती है। इस दौरान बच्चों को गर्म व ताजा खाना खिलाना चाहिए। ठंड से बचते हुए ठंड वाला समान भी नहीं खिलाना चाहिए। कोट बच्चों में कोल्ड डायरिया की समस्या काफी रहती है। बढ़ने पर यह खतरनाक साबित भी हो सकती है। कोल्ड डायरिया होने पर बच्चों को तुरंत उल्टी होनी प्रारंभ हो जाती है। उसके अलावा पानी की तरह पतला शौच होने लगता है। बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन आ जाता है। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। प्यास काफी लगती है। बच्चों में यह सब लक्षण दिखे तो तत्काल घर पर एक लीटर पानी मे चीनी व नमक घोलकर पिलाते रहना चाहिए और उसके तत्काल बाद चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। डॉ. एलके लक्ष्मण, वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक, मधेपुरा
हार्ट व बीपी के मरीजों को अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। इस समय हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। ठंड के कारण रक्त की धमनियों सिकुड़ने के कारण हार्ट पर अत्यधिक दबाव पड़ने से हार्ट अटैक का खतरा बन जाता है। वही बीपी के मरीजों को भी अचानक से बीपी अत्यधिक बढ़ जाने पर ब्रेन हेमरेज तक खतरा हो जाता है। इसीलिए हार्ट व बीपी के मरीजों को समय समय पर चिकित्सकों से सलाह लेते रहने चाहिए। साथ ही ठंड से बचाव के सभी साधन अपनाने चाहिए। डॉ. आरके पप्पू, वरीय चिकित्सक,मधेपुरा