सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नहीं होता इलाज, मरीजों को होती है परेशानी
मधेपुरा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति ठीक नहीं है। प्रखंड में करोड़ों की लागत से बने
मधेपुरा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति ठीक नहीं है। प्रखंड में करोड़ों की लागत से बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हाथी के दांत साबित हो रहा है। स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व चिकित्सा कर्मी की कमी के कारण लोगों को काफी परेशानी होती है। आलमनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई थी। , लेकिन एक सप्ताह से एक भी एंबुलेंस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध नहीं है। पूछे जाने पर स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि एक एंबुलेंस दीपावली से पूर्व खराब हो गई थी। ठीक करने के लिए भेजा दी गई थी। दूसरी एंबुलेंस मरम्मत के लिए छठ पर्व के बाद भेज दी है। बीते रविवार की रात प्रखंड के कुरान निवासी 65 वर्षीय रवींद्र सिंह अचानक तबीयत खराब हो गई थी। स्वजनों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया। जहां हालत नाजुक होने की वजह से परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए तत्काल रेफर कर दिया गया, लेकिन यहां से ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई। आसपास के अस्पतालों में एंबुलेंस को लेकर संपर्क किया गया तो 15 घंटे के बाद सोमवार को उदाकिशुनगंज से एंबुलेंस की व्यवस्था की गई। इसके बाद मरीज को बेहतर इलाज के लिए ले जाया गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि अस्पताल परिसर में बिचौलिए घूमते रहते हैं। मरीज के पहुंचने पर उसे बरगला कर निजी अस्पताल ले जाने के दबाव डालते हैं। अस्पताल के आस-पास से लेकर शहर के विभिन्न हिस्सों में संचालित दवा की छोटी-बड़ी दुकानों तक इनके एजेंट तैनात रहते हैं। जो गांव-देहात से आने वाले भोले-भाले लोगों को बरगलाकर अवैध नर्सिंग होम तक मरीज और उनके अभिभावकों को पहुंचा देते हैं। अवैध नर्सिंग होम के संचालकों का अस्पताल के कुछ कर्मियों और प्रखंड की सभी पंचायतों में रहने वाले सफेदपोश नेताओं से जुड़ाव है। इनके माध्यम से बेहतर इलाज के नाम पर मरीजों को अवैध नर्सिंग होम तक पहुंचा दिया जाता है। -सुबोध कुमार सिंह,
अधिवक्ता
प्रखंड क्षेत्र ही नहीं पूरे जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। इस वजह से प्राइवेट स्तर पर स्वास्थ्य विभाग को सबसे बड़ा कमाओ स्त्रोत मानते हुए इस क्षेत्र में कई नर्सिंग होम क्लीनिक खोलकर बड़े-बड़े एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम का बैनर लगा लिए हैं। इस झांसे में गांव के लोग आ जाते हैं। गोरखधंधा कर निजी नर्सिंग होम व क्लीनिक चलाने वाले के ऊपर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। -विकास कुमार सिंह
अस्पताल में ले जाने के बाद डॉक्टरों द्वारा ठीक होने वाला मरीज को भी रेफर कर दिया जाता है। इस वजह से प्रखंड क्षेत्र में फैले दलालों के चपेट में मरीज के परिजन आ जाते हैं। जहां नि:शुल्क इलाज हो सकता है वहीं काफी राशि खर्च करनी पड़ती है। रेफर के नाम पर यहां आम लोगों को लूटा जा रहा है। -मुकेश कुमार मुन्ना,
मुखिया, ग्राम पंचायत खापुर
प्रखंड क्षेत्र ही नहीं पूरे जिले में व्यापक स्तर पर नर्सिंग होम, क्लीनिक चल रहे हैं। क्षेत्र के गरीब जनता इसका शिकार हो रहे हैं। क्षेत्र में चल रहे नर्सिंग होम के गोरखधंधे में शामिल लोग और स्वास्थ्य विभाग के बीच गठजोड़ में आम लोग पिस रहे हैं। -नीलू देवी, मुखिया, ग्राम पंचायत आलमनगर पूर्वी
अगर सरकारी अस्पताल में गरीबों का इलाज समुचित इलाज सही ढंग से किया जाय तो गरीबों को काफी फायदा होगा। गरीब दलाल के झांसे में आने से बचेंगे। उसका उचित इलाज भी होगा। इस पर अस्पताल प्रबंधक को ध्यान देने की जरूरत है। -ई. नवीन कुमार निषाद, राजद नेता
प्रखंड क्षेत्र में उप स्वास्थ्य केंद्र हो या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कहीं पर भी इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है। मरीज अस्पताल तो पहुंचता है, लेकिन उसका सही ढंग से इलाज नहीं हो पाता है। ऐसे में मरीज के स्वजन स्थानीय चिकित्सक के चपेट में आ जाते हैं। धन के साथ-साथ जान से भी हाथ धो लेते हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को सक्रिय होकर क्षेत्र में पहले अवैध कारोबार करने वाले वैसे लोग जो नर्सिंग होम व क्लीनिक के गोरखधंधा बनाने वाले पर कार्रवाई करनी चाहिए। -रेखा देवी, जिला परिषद सदस्य,
आलमनगर