Move to Jagran APP

बिना कार्ययोजना के काम कर रहा वन विभाग

मधेपुरा। वन विभाग को नहीं पता है कि मधेपुरा में वन क्षेत्र का कितना प्रसार हुआ है। यही कर

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 12:52 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 12:52 AM (IST)
बिना कार्ययोजना के काम कर रहा वन विभाग
बिना कार्ययोजना के काम कर रहा वन विभाग

मधेपुरा। वन विभाग को नहीं पता है कि मधेपुरा में वन क्षेत्र का कितना प्रसार हुआ है। यही करण है कि पर्यावरण दिवस पर भी विभाग द्वारा कोई कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा रहा है।

loksabha election banner

वन विभाग का दावा है कि मधेपुरा में विभाग के पास मौजूद पौधे को मनरेगा व जीविका समेत नर्सरी को दिए जाते हैं, लेकिन पौधे के संरक्षण की मॉनिटरिग के सवाल पर चुप्पी है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में वन क्षेत्र नहीं है। अपनी उपलब्धि गिनाते हुए बताते हैं कि हमलोगों ने इस वर्ष नहर किनारे 66 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। वहीं, रेलवे लाइन के किनारे 10 हजार से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। दूसरी और हैरानी की बात है कि इस वित्तीय वर्ष को तीन माह होने को है, लेकिन अभी तक काई प्लानिग नहीं बनी है। इसके अलावा स्कूली बच्चों में जागरूकता लाने के लिए दो साल से कोई नया कार्यक्रम नहीं आया है। कोरोना काल में कई राज्य के वन विभाग के अधिकारी ऑक्सीजन बढ़ाने वाले पौधे लगाने पर जोर दे रहे हैं। मधेपुरा में इसके बारे में काई जानकारी तक नहीं है। विभाग के रेंजर का कहना है कि हमलोग इस समय 40 प्रजाति के पौधे लगा रहे हैं। इसमें अश्वगंधा, तुलसी व सागरगोटा के पौधे नर्सरी में मौजूद हैं।

पर्यावरण का बिगड़ रहा संतुलन जिले में वन विभाग की आठ अधिकृत नर्सरी है। इसमें 4.78 लाख पौधे लगे हैं। मधेपुरा में दो लाख व उदाकिशुनगंज में 2.78 लाख पौधे लगाए गए हैं। विभाग के रेंजर का कहना है कि नर्सरी का काम पौधे का उगाकर मनरेगा व जीविका समेत अन्य विभाग व संगठन को पौधे उपलब्ध करना है। प्रत्येक वर्ष 30 रुपये की दर से मनरेगा को पौधा उपलब्ध कराए जाते हैं। जबकि जीविका को निशुल्क पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। पौधे की मॉनिटरिंग कैसी होगी, इसका गोलमटोल जबाब रेंजर के पास है। वहीं रेंजर को यह भी पता नहीं है कि जिले में लगाए गए पौधे की क्या स्थिति है। यही कारण है कि पर्यावरण का संतुलन बनने के बजाए बिगड़ रहा है। जागरूकता अभियान चलाने के प्रति विभाग नहीं है गंभीर एक ओर पूरी दुनियां पर्यावरण असंतुलन के प्रति चितित है। विभाग के लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं है। जागरूकता के लिए सरकार के आदेश का इंतजार है। अधिकारियों का कहना है कि जबतक आदेश नहीं आएगा, तबतक हमलोग कुछ नहीं कर सकते हैं। यही कारण है कि वन विभाग में अधिकतर कार्य औपचारिकता ही पूरी कर रहा है। जबकि जानकारी के अनुसार विभाग को पहले से ज्यादा वनरक्षी व मेन पॉवर मिला है।

कोट मधेपुरा में वन क्षेत्र नहीं है इसलिए वन क्षेत्र कितना है, इसकी जानकारी नहीं है। नहर किनारे पौधे लगाए जाते हैं। -प्रमोद रंजन सहाय,

रेंजर, मधेपुरा वन प्रमंडल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.