लघु व कुटीर उद्योग के अभाव में मजदूरों के पलायन को मजबूर
मधेपुरा। कोरोना काल में महानगरों से घर की ओर लौट आए मजदूरों के माली हालत में काफी
मधेपुरा। कोरोना काल में महानगरों से घर की ओर लौट आए मजदूरों के माली हालत में काफी खराब हो चुकी है। ऐसे में अधिकांश मजदूर रोजी-रोटी की तलाश में मजदूरी के लिए फिर से दूसरे प्रदेश पलायन करने को मजबूर है। सरकारी स्तर पर गरीबी उन्मूलन की दिशा में कई अभियान चलाए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार मजदूरों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। इसके बावजूद इस दिशा में प्रशासन को विशेष सफलता नहीं मिल रहीं है। जिसका मुख्य कारण मजदूर वर्गो में शिक्षा का अभाव माना जाता है। प्रशासनिक स्तर पर मजदूरों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता फैलाने की जरूरत है तभी मजदूर वर्ग को गरीबी एवं तंगहाली से मुक्ति मिल सकेगी। कुटीर उद्योग का अभाव पलायन की मुख्य वजह क्षेत्र में लघु व कुटीर उद्योग का अभाव होना मजदूरों के पलायन की मुख्य वजह मानी जा रही है। स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने की वजह से मजदूर महानगरों की ओर न चाहते हुए भी जाने को विवश हैं। क्षेत्र के नेताओं के लिए मजदूर सिर्फ चुनाव के समय मतदाता नजर आता है। इनके हितों के लिए ईमानदारी से लड़ने वाला कोई नहीं है।
कोट मजदूरों को निबंधन श्रम संसाधन विभाग से कराना अनिवार्य है। निबंधित मजदूरों को ही सरकारी योजना का लाभ दिए जाने का प्रावधान है। अशिक्षा के अभाव में मजदूर निबंधन नहीं कराते है। निबंधित मजदूर नहीं रहने की वजह से मजदूरों कई तरह के लाभ से वंचित रह जाते है। इधर आनलाइन सिस्टम से मजदूरों का निबंधन प्रक्रिया चालू होने से निबंधित मजदूरों की संख्या बढ़ी हैं।
मनोज कुमार यादव,
सांख्यिकी पर्यवेक्षक,
बिहारीगंज (मधेपुरा)