चुनाव में सुनाई देगी उद्योग नहीं लगने की आवाज
मधेपुरा। जिले में तीसरे चरण में सात नवंबर को चुनाव होना है। 20 अक्टूबर तक नामांकन होन
मधेपुरा। जिले में तीसरे चरण में सात नवंबर को चुनाव होना है। 20 अक्टूबर तक नामांकन होना था। लोगों की कई स्थानीय समस्याएं हैं। इनमें विकास से जुड़ा मसला है।
लोग पूर्व और वर्तमान सरकार के कामों को लेकर चर्चा करने लगे हैं। क्षेत्र में राजनीति का रंग चढ़ने लगा है। मुद्दों को लेकर लोग सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। सबसे बड़ी बात लोग उद्योग और बेरोजगारी को लेकर कर रहे हैं। यहां पर वादा के बाद भी उद्योग नहीं लगना लोग बड़ा मुद्दा मान रहे हैं।
लोग कह रहे हैं कि इस बार जब नेताजी वोट मांगने आएंगे तो उनसे उद्योग को लेकर सवाल पूछेंगे। सवाल पक्ष और विपक्ष दोनों से करेंगे। पहला तो सत्ता पक्ष से सवाल होगा कि वादा के बाद भी उद्योग क्यों नहीं लग पाया। दूसरा विपक्ष से सवाल होगा कि उद्योग नहीं लगने पर पांच साल में आवाज क्यों नहीं उठाया। बहरहाल नेताओं को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं। जिसे वक्त पर भुनाएंगे। यहां पर सरकार की घोषणा के बाद भी उद्योग नहीं लग पाया।
इस क्षेत्र में पूर्ववर्ती राजद सरकार में फल-फूल पर आधारित इंड्रस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर, फूडपार्क, चीनी मील, मक्का आधारित उद्योग लगने की कवायद शुरू हुई थी, लेकिन कोई उद्योग नहीं लग पाया। जबकि समाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े कोसी के उदाकिशुनगंज अनुमंडल में क्षेत्र में उद्योग लगने की असीम संभावनाएं है।
अस्तित्व में आने से पहले मिटा बहूद्देशीय इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर एक तरफ जहां वर्तमान सरकार ने राज्य में उद्योग को बढ़ावा दिए जाने के लिए औद्योगिक नीति के लिए प्रयासरत रहने की बात कही है। वहीं, पूर्ववर्ती राजद सरकार में स्वीकृत योजना को भी मृतप्राय बनाकर रख दिया। यही वजह रहा कि उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय में 16 वर्ष पूर्व स्थापित होने वाले उद्योग अब लोगों के जेहन से दूर हो गया। अनुमंडल मुख्यालय के चरवाहा विद्यालय के समीप 15 एकड़ जमीन में पांच करोड़ की राशि से बनने वाले ग्रोथ सेंटर का शिलान्यास 11 दिसबंर 2004 को किया गया था। उस समय सरकार ने तत्काल ही 35 लाख रूपया स्वीकृति कर दिया था। इसमें 24 लाख रूपये की विमुक्ति भी हो गई थी। योजना के पीछे सरकार की मंशा थी कि किसानों को लाभान्वित किया जाय। अब भी जमीन तलाश रही बहुप्रतीक्षित फूड पार्क योजना उदाकिशुनगंज में 16 वर्ष पूर्व फूड पार्क योजना की स्वीकृति मिली थी। योजना के लिए एक सौ एकड़ भूमि की आवश्यकता बताई गई थी। उस समय में उदाकिशुनगंज के ग्वालपाड़ा और बिहारीगंज के क्षेत्र में भूमि का सर्वे कराया गया। लेकिन आवश्यकता के मुताबिक जमीन उपलब्ध नहीं हो पाया। फलाफल योजना अधर में है। योजना के धरातल पर स्थापित होने के बाद कोसी के अलावा सीमांचल के पूर्णिया जिले के लोगो को फायदा होता। नहीं स्थापित हुई चीनी मिल उदाकिशुनगंज में चीनी मिल लगाने की घोषणा की गई थी, लेकिन 14 साल बाद भी मिल नहीं लग सकी। वर्ष 2006 में चीनी मिल लगाने की कवायद शुरू हुई थी। चंद ही वर्ष बाद कवायद बंद हो गई। वजह कि स्थानीय जनप्रतिनिधि के दिली इच्छा नहीं रहने के कारण योजना अस्तित्व में नहीं आ सका। मामला भूमि अधिग्रहण में ही लटक गया। चीनी मिल लगाने के लिए उत्तर प्रदेश धामपुर चीनी मिल के मालिक विजय गोयल उदाकिशुनगंज आए थे। भूमि अधिग्रहण के समय मिल मालिक ने बिहारीगंज में अपना कार्यालय भी खोल रखा था। जहां मिल मालिक के कर्मचारी भी रहने लगे थे। मिल के लिए उदाकिशुनगंज के मधुबन तीनटेंगा और बिहारीगंज के गमैल मौजा में भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हुआ। मिल के लिए साढ़े तीन सौ, एकड़ जमीन की आवश्यकता बताई गई थी। जहां ढाई सौ एकड़ जमीन उपलब्ध भी हो गई थी। अचानक बड़ी साजिश के तहत तीनटेंगा गांव के लोगों ने मामला हाईकोर्ट लेकर चला गया। इस कारण शेष बचे भूमि अधिग्रहण का मामला अटक गया। मक्का आधारित उद्योग लगने का मामला ठंडे बस्ते में
अनुमंडल क्षेत्र के 90 फीसद लोग कृषि पर आधारित जीवन यापन करते हैं। क्षेत्र के चौसा आलमनगर, पुरैनी और उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र में मक्के की खेती प्रचुर मात्रा में की जाती है। बावजूद की किसानों को उपजाऊ फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। उद्योग लगने से किसानो की परेशानी दूर होती। किसानो की मांग को देखते हुए एक दशक पूर्व राज्य सरकार ने चैसा के कलासन में मक्का आधारित उद्योग लगाने की घोषणा की थी। इसकी कवायद भी शुरू हुई। उद्यमी भी उद्योग लगाने को आगे आए, लेकिन सरकारी सहायता नहीं मिल मिलने पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
कोट उद्योग लगने से किसान ही नहीं आमजन को फायदा पहुंचता, लेकिन मिल लगने में क्या परेशानी है। स्थानीय जनप्रतिनिधि को देखना चाहिए था।
परमानंद कुमार, पटेल चौक, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा
उद्योग लगाने के लिए अब भी पहल की जानी चाहिए। जनप्रतिनिधि के उदासीनता के कारण मिल नहीं लग पाई। लव कुमार आनंद व्यवसायी, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा
निश्चित रूप से जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र के लोगों को उपेक्षित रखा है। सभी जानते हैं कोसी के लोग खेती पर निर्भर है। यद्यपि उद्योग नहीं लगना दुर्भाग्यपूर्ण बात है। राजू कुमार, रामबाग, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा उद्योग लगाने के लिए राजनीतिक दलों ने कभी एकजुटता नहीं दिखाई। इसके लिए सरकार पर दबाव बनाया जाना चाहिए था। अब चुनाव आया तो नेताओं से सवाल जरूर पूछे जाएंगे। पप्पू गुप्ता, पटेल चौक, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा
हर बार सियासतदान लोक लुभावन वादा कर जाते हैं, लेकिन लोगों की समस्या धरी की धरी रह जाती है। उद्योग लगने से इलाका रोशन होता। अब इलाका अंधेरे में है। नवीन कुमार नवीन, पटेल चौक, उदाकिशुनगंज, मधेपुरा विकास के प्रति नेताओं ने कभी भी दिली इच्छा नहीं दिखाई। वास्तव में जनप्रतिनिधि विकास चाहते तो इलाका सुंदर होता। उद्योग नहीं लग पाना क्षेत्र के लिए बड़ा दुर्भाग्य है।
नीतीश राणा, लक्ष्मीपुर उदाकिशुनगंज, मधेपुरा